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दमोह कांड का “फर्जी चिकित्सक” पुलिस के कब्जे में, मानव अधिकार आयोग का दल पहुंचा दमोह

दमोह कांड का “फर्जी चिकित्सक” पुलिस के कब्जे में, मानव अधिकार आयोग का दल पहुंचा दमोह

दमोह/भोपाल, 07 अप्रैल (वार्ता) मध्यप्रदेश के दमोह जिला मुख्यालय पर स्थित “मिशन अस्पताल” में हृदय रोग संबंधी कथित फर्जी चिकित्सक “डॉ एन जोन केम” उर्फ नरेंद्र विक्रमादित्य यादव द्वारा अनेक मरीजों की सर्जरी करने और इस दौरान सात मरीजों की मृत्यु संबंधी सनसनीखेज मामले के खुलासे के बीच राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की दो सदस्यीय टीम जांच के लिए आज दमोह पहुंची। वहीं आरोपी चिकित्सक को सोमवार शाम पुलिस ने पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश के प्रयागराज से अपने कब्जे में ले लिया।

पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने यूनीवार्ता से कहा कि आरोपी डॉक्टर एन जोन केम उर्फ नरेंद्र विक्रमादित्य यादव को दमोह पुलिस ने प्रयागराज से अपने कब्जे में ले लिया। उसे दमोह लाया जा रहा है। उसके खिलाफ रविवार और सोमवार की दरम्यानी रात्रि में दमोह कोतवाली थाने में धोखाधड़ी और अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस के हत्थे चढ़ने के बाद माना जा रहा है कि अब इस कांड से जुड़ी परतें खुलेंगी।

कथित फर्जी चिकित्सक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद दमाेह पुलिस उसे ढूंढ रही थी। वह मूल रूप से उत्तराखंड का निवासी बताया गया है। उसने कथित तौर पर एमबीबीएस की डिग्री दक्षिण भारत के किसी राज्य से हासिल की है। इसके बाद उसकी डिग्रियों के संबंध में अधिकृत तौर पर कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है। इसके पहले कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सुश्री सुप्रिया श्रीनेत ने सोशल मीडिया के जरिए कहा कि फर्जी डॉक्टर बन इस आदमी ने दमोह में लोगों की हार्ट सर्जरी कर डाली, जिसमें सात लोगों की मौत हो गयी। उन्होंने कहा कि यह व्यक्ति सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव था और भाजपा नेताओं के साथ स्वयं के फोटो पोस्ट करता था।

सुश्री श्रीनेट ने कहा कि इस व्यक्ति ने स्वयं को ब्रिटेन के कॉर्डिएक चिकित्सक “एन जोन कैम” के रूप में पेश किया हुआ था। वह अपने आप काे अंग्रेज की तरह दिखाने का प्रयत्न करता था, लेकिन वास्तव में वह “नरेंद्र विक्रमादित्य यादव” है। वह सोशल मीडिया पर विपक्ष के खिलाफ अनर्गल बातें लिखने वाला “मोदी भक्त” है। लेकिन अब उसने जो किया है, वह अक्षम्य है।

इधर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगाे ने दूरभाष पर यूनीवार्ता से चर्चा में जांच दल के दमोह पहुंचने की पुष्टि करते हुए कहा कि वह बुधवार तक दमोह में ही रहकर मामले की जांच करेगा। इस जांच दल में दो सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि जांच दल मुख्य रूप से इस बात की जांच करेगा कि क्या मिशन अस्पताल में सर्जरी के दौरान मरीजों की मृत्यु हुयी है। क्या इस अस्पताल में डॉ एन जोन केम और अन्य चिकित्सकों को “कार्डिएक सर्जरी” का अधिकार था। क्या इन चिकित्सकों के पास वैध लायसेंस और दस्जावेज हैं और क्या चिकित्सक इस मामले में संलिप्त हैं। जांच दल मुख्य रूप से इन्हीं प्रमुख बिंदुओं पर अपनी जांच करेगा।

उन्होंने कहा कि आयोग काे इस मामले की शिकायत दमोह की बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष दीपक तिवारी की ओर से हाल ही में मिली है। इसके आधार पर जांच कराने का निर्णय आयोग ने लिया है। श्री कानूनगो ने कहा कि जांच रिपोर्ट मिलने के बाद आयोग अपनी आगे की कार्रवाई सुनिश्चित करेगा।

इस बीच मामले के तूल पकड़ने पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) की रिपोर्ट के आधार पर यहां कोतवाली थाना पुलिस ने रविवार की देर रात प्राथमिकी दर्ज कर ली। दमोह के नगर पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी ने संवाददाताओं को बताया कि कोतवाली पुलिस में एक प्राथमिकी दर्ज हुई है, जिसमें “मिशन अस्पताल” के डॉक्टर एन जोन केम के खिलाफ धोखाधड़ी और कूटरचित दस्तावेज पेश करने की बात है। सीएमएचओ की ओर से पुलिस में इस बारे में प्रतिवेदन आया है। प्रतिवेदन में कहा गया है कि डॉ नरेंद्र एनजोन केम ने फर्जी तरीके से एंजियोप्लास्टी करते हुए अपनी सेवाएं दीं।

श्री तिवारी ने शिकायत के हवाले से कहा कि डॉ नरेंद्र एन जोन केम के दस्तावेज संदेहास्पद पाए गए हैं, जिनकी जांच चिकित्सों की टीम ने की थी। दस्तावेज संदेहास्पद पाए जाने के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई। डाॅक्टर का पंजीकरण मध्यप्रदेश में ना होते हुए भी वो यहां अभ्यास (प्रेक्टिस) कर रहा था। इसके अलावा आंध्रप्रदेश में पंजीकरण का दावा किया गया था, लेकिन वो पंजीयन वेबसाइट पर प्रदर्शित नहीं हाे रहा है। ऐसी ही कई बातें सामने आई हैं। ये सब बातें चिकित्सीय अभ्यास को संदेहास्पद बनाती हैं। अस्पताल में कथित तौर पर डॉक्टर केम के इलाज के बाद कुछ लोगों की मौत के मामले में श्री तिवारी ने कहा कि अभी इस प्रकार का कोई तथ्य प्राथमिकी में उल्लेखित नहीं है। आगे अगर जांच के दौरान ऐसा कुछ सामने आएगा, तो उसे उल्लेखित किया जाएगा।

प्राथमिकी दर्ज होने के बाद सोमवार को दमोह की बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष दीपक तिवारी ने मीडिया से कहा कि

चिकित्सक पर जो प्राथमिकी दर्ज हुयी है, उसमें सिर्फ धोखाधड़ी की धारा लगी है, जो फर्जी डिग्री से संबंधित है। सीएमएचओ की शिकायत पर यह प्राथमिकी दर्ज की गयी है। इसमें “सात हत्याओं” का कोई जिक्र नहीं है। उन्होंने कहा कि प्राथमिकी में अस्पताल प्रबंधन और संचालक डॉ अजय लाल की लापरवाही का कोई उल्लेख नहीं है। आयुष्मान योजना के तहत लाखों रुपए अस्पताल ने लिए, इसका कोई उल्लेख भी प्राथमिकी में नहीं है।

आयोग में शिकायत दर्ज कराने वाले श्री तिवारी ने कहा कि वे इस मामले की संपूर्ण जांच चाहते हैं, सिर्फ फर्जी डिग्रियों की नहीं। उन्होंने कहा कि इस मामले में कई लोगों की मिलीभगत प्रतीत होती है। सभी को आरोपी बनाया जाना चाहिए। ऐसा लगता है कि जैसे अस्पताल संचालक और अन्य आरोपियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मानव अधिकार आयोग को भी जांच के लिए बुलाया गया है और उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो वे अदालत जाने के बारे में भी विचार करेंगे।

इस बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सोमवार को मीडिया को जारी बयान में कहा, “फ़र्ज़ी डॉक्टर बनकर एक आदमी ने दमोह में लोगों की हार्ट सर्जरी कर डाली, जिसमें 7 लोगों की मौत हो गई। इस हत्यारे को भाजपा वालों ने भी खूब प्रमोट किया। क्योंकि, यह भी जहर उगलता और केवल झूठा प्रचार करता था। मोहन यादव जी, इस आदमी को डाक्टर बन कर इलाज करने की इजाज़त किसने दी।” उन्होंने मुख्यमंत्री से जानना चाहा है कि इस अपराध में कौन शामिल हैं और किसका संरक्षण है। बेकसूरों की मौत का जिम्मेदार कौन है।

दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता रवि सक्सेना ने प्रदेश कांग्रेस की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा कि इस फर्जी डॉक्टर मामले ने पूरे राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है। एक फर्जी डॉक्टर, जो खुद को लंदन का प्रशिक्षित “कार्डियोलॉजिस्ट” बताकर “मिशन अस्पताल” में हार्ट सर्जरी कर रहा था, ने कई मरीजों की जान ले ली। इस त्रासदी ने न केवल स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को उजागर किया, बल्कि राज्य सरकार की जनता की सेहत के प्रति उदासीनता को भी सामने लाया है।

श्री सक्सेना ने आरोप लगाते हुए कहा कि दमोह के मिशन अस्पताल में नरेंद्र विक्रमादित्य यादव नामक शख्स ने “डॉ. एन जोन केम” के नाम से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हासिल की। उसने जनवरी-फरवरी 2025 में 15 से ज्यादा “हार्ट सर्जरी” कीं, जिनमें से कम से कम सात मरीजों की मौत हो चुकी है। जांच में पता चला कि उसकी डिग्री और अनुभव पूरी तरह फर्जी थे। अस्पताल प्रबंधन ने बिना किसी पृष्ठभूमि जांच के उसे मरीजों की जिंदगी सौंप दी, जो अपने आप में गंभीर लापरवाही का सबूत है। इसके बावजूद आरोपी के फरार होने से सवाल और गहरा गया है कि क्या प्रभावशाली लोग इस मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं।

श्री सक्सेना ने कहा कि इसी तरह इंदौर में अजय हार्डिया नाम का एक व्यक्ति स्वयं को कैंसर विशेषज्ञ बताकर 50 बेड का अस्पताल संचालित कर रहा है। जबकि उसके पास सिर्फ इलेक्ट्रो होम्योपैथी की डिग्री है। यह मामला भी मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ का बड़ा प्रकरण है। श्री सक्सेना ने कहा कि वे कांग्रेस की तरफ से मांग करते हैं कि राज्य में फैले “फर्जी डॉक्टरों” के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जाय और संबंधितों पर तत्काल कार्रवाई की जाए। दमोह मामले की भी निष्पक्ष जांच करायी जाए और फर्जी डॉक्टर के साथ ही अस्पताल प्रबंधन पर हत्या का मामला दर्ज होना चाहिए। वहीं पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिया जाना चाहिए।

इस मामले के राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरने के बीच मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि सरकार इस घटना पर कठोर कार्रवाई कर रही है। डॉ यादव ने सोमवार को मीडिया काे जारी बयान में कहा कि घटना सबकी जानकारी में है और सरकार उस पर कठोर कार्रवाई कर रही है। सरकार ने कमियों पर फौरन कार्रवाई की है, कई बड़े मामलों में ऐसा ही हुआ है और उसी का परिणाम है कि सरकार की अपनी एक साख बनी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने निर्देश दिए हैं कि अगर ऐसा कहीं और भी कुछ मामला हो, तो उस पर कठोर कार्रवाई की जाए।

प्रशांत

वार्ता

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