नयी दिल्ली 05 अप्रैल (वार्ता) अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने के उद्देश्य 5 अप्रैल 2016 को शुरू की गयी स्टैंड अप इंडिया योजना ने नौ वर्षाें में न केवल व्यवसायों को वित्त पोषित किया है बल्कि इसने सपनों को पोषित किया है, आजीविका का सृजन किया है और देश में समावेशी विकास को गति दिया है।
वित्त मंत्रालय ने इस योजना को नए व्यवसाय शुरू करने में मदद करने के लिए बैंक लोन प्रदान करके बाधाओं को तोड़ने और समाज के कमजोर और महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से शुरू किया था। योजना ने पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दिखाई है, जिसकी शुरुआत के बाद से स्वीकृत कुल राशि 31 मार्च 2019 तक 16,085.07 करोड़ रुपये से बढ़कर 17 मार्च 2025 तक 61,020.41 करोड़ रुपये हो गई।
इसने मार्च 2018 से मार्च 2024 तक अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति समुदायों और महिला उद्यमियों के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय सशक्तिकरण को प्रतिबिंबित किया किया है। इस योजना का लाभ उठाने वाले अनुसूचित जाति के खाते बढ़कर 9,399 से 46,248 हो गए, तथा लोन की राशि 1,826.21 करोड़ रुपये से बढ़कर 9,747.11 करोड़ रुपये हो गई। अनुसूचित जनजाति के खाते बढ़कर 2,841 से 15,228 हो गए तथा स्वीकृत लोन की राशि 574.65 करोड़ रुपये से बढ़कर 3,244.07 करोड़ रुपये हो गई। इस अवधि में महिला उद्यमियों के खाते 55,644 से बढ़कर 1,90,844 हो गए, तथा स्वीकृत राशि 12,452.37 करोड़ रुपये से बढ़कर 43,984.10 करोड़ रुपये हो गई।
मंत्रालय की कहना है कि योजना एक बदलावकारी पहल रही है, जिसने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमियों को अपने व्यावसायिक विचारों को हकीकत में बदलने के लिए सशक्त बनाया है। लोन स्वीकृति और वितरण में महत्वपूर्ण उपलब्धियों के साथ, यह समावेशी विकास को प्रोत्साहन देना जारी रखता है। यह योजना केवल लोन के बारे में नहीं है; यह अवसर पैदा करने, बदलाव को प्रेरित करने और आकांक्षाओं को उपलब्धियों में बदलने के बारे में है।
शेखर
वार्ता