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भाजपा ने जेएमएम पर आदिवासी विरोधी रुख अपनाने का आरोप लगाया

रांची,03अप्रैल (वार्ता) झारखंड में भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने कहा कि जेएमएम प्रवक्ता द्वारा यह दावा किया जाना कि चैत्र नवरात्रि के दौरान माहौल बिगड़ सकता है, यह संकेत देता है कि सरकार उपद्रवियों के सामने पूरी तरह नतमस्तक हो चुकी है।
उन्होंने आज कहा कि हाल ही में शिवरात्रि, होली और सरहुल के दौरान भी हिंसा के मामले सामने आए थे और अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि रामनवमी के अवसर पर भी माहौल खराब करने की कोशिश की जा रही है।उपद्रवियों को चेतावनी देने के बजाय, उनके हिंसक कृत्यों का समर्थन करना बेहद शर्मनाक और निंदनीय है|
श्री साह ने कहा, “जब 1954, 1995 और 2013 में कांग्रेस सरकारों ने वक़्फ़ कानून बनाए, तब राज्यों की शक्तियों का क्या हुआ? जब एक खास वर्ग को खुश करने के लिए कानून बनाया जाता है, तो जेएमएम को कोई समस्या नहीं होती, लेकिन जब भाजपा तुष्टिकरण के खिलाफ देश हित में जमीन बचाने के लिए कानून लाती है, तो उन्हें संविधान की याद आ जाती है!” केंद्र सरकार का यह कानून राज्यों के अधिकारों को और मजबूती देता है ना कि राज्य की शक्तियों को कमजोर करता है। उन्होंने कहा कि यदि निष्पक्ष जांच करवाई जाए, तो झारखंड में वक़्फ़ संपत्तियों के नाम पर बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां उजागर होंगी। उन्होंने आरोप लगाया कि झारखंड में वक़्फ़ की जमीन का इस्तेमाल राजनीतिक स्वार्थ साधने और राजनीतिक गतिविधियों के लिए किया जा रहा है, और यह समझना मुश्किल नहीं है कि इनसे किन पार्टियों को लाभ मिल रहा है ।
श्री साह ने जेएमएम पर आदिवासी विरोधी रुख अपनाने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जेएमएम खुद को आदिवासियों की हितैषी बताती है, लेकिन अब उस वक़्फ़ बिल के विरोध में खड़ी है, जो अनुसूचित क्षेत्र (शेड्यूल-5) के तहत आदिवासियों की जमीनों को वक़्फ़ के नाम पर भू-माफियाओं के कब्जे से बचाने का काम करता है। हेमंत सरकार को चाहिए कि वह वक़्फ़ के नाम पर हड़पी गई आदिवासी जमीनों की जांच कराए और नए कानून के तहत सख्त कार्रवाई करके आदिवासियों को उनका अधिकार लौटाए।कहा कि किसी राजनीतिक दल का काम कानून लागू कराना नहीं है बल्कि कानून का पालन करना उसकी जिम्मेवारी । राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद बना कानून देश के हर नागरिक पर स्वतः लागू हो जाता है। झामुमो को इसके लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है।
विनय
वार्ता