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सम के गोडावण संरक्षण केन्द्र में चार बच्चों ने लिया जन्म

जैसलमेर 06 अप्रैल (वार्ता) राजस्थान में जैसलमेर जिले के सम गांव के पास स्थित सुदासरी के गोडावण संंरक्षण केन्द्र में केपेटिव ब्रीडिंग से ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गोडावण) के चार बच्चों ने जन्म लिया है।
धरती पर तेजी से लुप्त हो रहे राज्य पक्षी, शेड्यूल फर्स्ट के वन्य जीव प्राणी दी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के संरक्षण एवं आबादी बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासो में यह बड़ी सफलता मिली है। इनमें तीन गोडावण के चूजों ने एक ही दिन दो अप्रैल को जन्म लिया था,जबकि एक अन्य गोडावण का जन्म 29 मार्च को हुआ था। इसको मिलाकर पिछले दो सालों में 20 गोडावण केपेटिव ब्रीडिंग से जन्म ले चुके है।
डेजर्ट नेशनल पार्क (डीएनपी) विभागीय वन अधिकारी बृजमोहन गुप्ता ने बताया कि सम स्थित डेजर्ट नेशनल पार्क में सुदासरी गोडावण संंरक्षण केन्द्र में केपेटिव ब्रीडिंग के बाद पैदा हुए अंडों की कृत्रिम हैचिंग के बाद एक ही दिन में तीन गोडावण चूजों ने जन्म लिया जिसको लेकर वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कैद में पाले गए ग्रेट इंडियन बस्टर्ड चूजे के सफलतापूर्वक कृतिम रूप से अंडे सेने की रोमांचक अच्छी खबर शुक्रवार को साझा की।
उन्होंने बताया कि इससे पहले 29 मार्च को भी इसी सेंटर में एक चूजे का जन्म हुआ था। इस तरह वर्ष 2025 में अब तक छह दी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के चूजे जन्म ले चुके हैं। तथा अब जैसलमेर में सुदासरी और रामदेवरा दोनों जगह मिलाकर गोडावण की संख्या बढ़कर 50 हो गई है। इसमे रामदेवरा में 28 एवं सुदासरी में 22 गोडावण हो गए हैं।
श्री गुप्ता ने बताया कि चार नए चूजों को चार मादा गोडावण ने जन्म दिया है। राष्ट्रीय संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम के तहत मिली इस सफलता से वन्यजीव संरक्षण विशेषज्ञों और प्रकृति प्रेमियों में उत्साह है।
उन्होंने बताया कि सम प्रजनन केंद्र में जन्मे इन चूजों की विशेष बात यह है कि इनका प्रजनन प्राकृतिक संबंधों और कृत्रिम हैचिंग की प्रक्रिया का परिणाम है। पहले हैचिंग से जन्मे मेल गोडावण लियो ने तीन मादा गोडावणों रीवा, अमन, शार्की के साथ प्राकृतिक समागम किया था और इससे 11 और 12 मार्च को तीनों ही मादा गोडावणों ने अंडे दिए थे सम ब्रिडिंग सेंटर में मादा द्वारा दिए गए अंडों को कृत्रिम रूप से हेच किया गया था और दो अप्रैल को अंडों से गोडावण के तीन चूजों ने जन्म लिया था। इस प्रक्रिया को नियंत्रित करने में सम केंद्र के वैज्ञानिकों ने बेहद सावधानी बरती और इसका परिणाम सफलतापूर्वक प्राप्त हुई है।
श्री गुप्ता ने बताया कि छह मार्च को टोनी नाम की एक पांच वर्षीय मादा ने सम कंजर्वेशन ब्रीडिंग सेंटर में एक प्रजनन चार साल के नर, लियो के साथ संभोग करने के बाद अंडा दिया था। अंडे को प्रोजेक्ट त्रढक्त के तहत काम करने वाली समर्पित टीम द्वारा कृत्रिम रूप से हैच किया गया था, जिसके बाद 29 मार्च को एक गोडावण के चूजे ने जन्म लिया था। इसको मिलाकर अब तक पिछले दो सालों में केपेटिव ब्रीडिंग से 20 नए गोडावण के बच्चे जन्म ले चुके हैं।
सं.रामसिंह.संजय
वार्ता
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