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सावन मेले की तैयारियों में मशगूल है कान्हा का ब्रज

मथुरा, 10 जुलाई (वार्ता) सावन में समूचा ब्रजमंडल जहां कन्हैया की लीलाओं से महक उठता है वहीं इस माह में देश के विभिन्न भागों से इतने अधिक तीर्थयात्री आते हैं कि ब्रजभूमि मेले का रूप ले लेती है। वैसे तो सावन की शुरूआत के एक सप्ताह पहले से ही गोवर्धन में तीर्थयात्रियों का मिनी कुंभ लग जाता है। मुड़िया पूनो नाम से यह मेला तीर्थयात्रियों की अधिक संख्या के कारण प्रशासन के लिए चुनौती बन जाता है। मंदिरों के व्यवस्थापकों के लिए भी सावन मेला व्यवस्थाओं के लिए चुनौती लेकर आता है क्योंकि सावन में ब्रज के प्रमुख मंदिर नई नवेली दुल्हन का सा स्वरूप धारण कर लेते हैं। सावन में तीर्थयात्रियों के लिए ब्रज के आकर्षण का कारण यहां के मंदिरों में आयोजित किये जाने वाले विभिन्न कार्यक्रम तो रहते ही हैं मगर सावन में ब्रजभूमि का सबसे बड़ा आकर्षण चातुर्मास में ब्रजभूमि में सभी तीर्थों का रहना होता है। वृद्ध नन्दबाबा और यशोदा ने जब श्यामसुन्दर से तीर्थ कराने को कहा था तो नन्दबाबा और यशोदा मां को या़त्रा करने में परेशानी होने से बचाने के लिए श्यामसुन्दर ने सभी तीर्थों को ब्रज में ही प्रकट कर दिया था। श्यामसुन्दर द्वारा सभी तीर्थों को ब्रज में प्रकट करने से सावन में यहां केदारनाथ, बद्रीनाथ धाम के यदि दर्शन होते हैं तो गंगोत्री और यमुनोत्री के भी दर्शन चातुर्मास में ब्रज में हो जाते हैं। यहीं पर गंगासागर है तो जगन्नाथपुरी और नीमसार मिश्रिक भी यही हैं इन्ही विशेषताओं के कारण चातुर्मास में ब्रज चैरासी कोस की परिक्रमा करने के लिए हजारों तीर्थयात्री ब्रज में आते हैं। सं प्रदीप भंडारी जारी वार्ता

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