राज्य » राजस्थानPosted at: Jul 19 2024 6:53PM पुड्डुचेरी से चली केवीके की मशाल यात्रा पहुंची उदयपुरउदयपुर, 19 जुलाई (वार्ता) देश में कृषि विज्ञान केन्द्रों (केवीके) की स्थापना के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में पुड्डुचेरी से आंरभ हुई मशाल यात्रा (गोल्डन जुबली-टाॅर्च) विभिन्न शहरों से होती हुई उदयपुर पहुंची।इस मशाल यात्रा के गुरुवार को उदयपुर में केवीके वल्लभनगर पहुंचने पर राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय बीकानेर (राजुवास) के कुलपति डाॅ. एस. के. गर्ग और वल्लभनगर केन्द्र के अधिष्ठाता डाॅ. आर. के. नागदा ने मशाल महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्ववि़द्यालय उदयपुर (एमपीयूएटी) को सौंपी। एमपीयूएटी के कुलपति डाॅ. अजीत कुमार कर्नाटक ने बताया कि देश में पहला केवीके 21 मार्च 1974 को पुडुचेरी (पांडिचेरी) में स्थापित किया गया और विगत पांच दशक में उपादेयता और आवश्यकता के आधार पर आज देश में केवीके की संख्या बढ़कर 731 हो गयी है। केवीके का यह मजबूत नेटवर्क खेती की चुनौतियों के लिये अनुकूल है।उन्होंने बताया कि केवीके योजना सौ फीसदी भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित है। केवीके कृषि विश्वविद्यालय, आईसीएआर, संस्थानों, संबंधित सरकारी विभागों और कृषि में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों को स्वीकृत किये जाते हैं। केवीके का उद्देश्य प्रौद्योगिकी मूल्यांकन, शोधन और प्रदर्शनों के माध्यम से कृषि व सबद्ध उद्यमों में स्थान विशिष्ट प्रौद्योगिकी माॅड्यूल का मूल्यांकन करना है। डाॅ कर्नाटक ने कहा कि किसानों को फसल, पशुधन, वानिकी और मत्स्य पालन क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी तक पहुंच की आवश्यकता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आईसीएआर) पूरे देश में जिला स्तर पर स्थापित केवीके के माध्यम से इसका समाधान करता है। प्रसार शिक्षा निदेशक डाॅ. आर.ए. कौशिक ने बताया कि जम्मू कश्मीर, पंजाब प्रांतों के केवीके से होती हुई यह मशाल यात्रा राजस्थान के बीकानेर पंहुची। अब एमपीयूएटी के अधीन बांसवाड़ा, भीलवाड़ा, प्रथम व द्धितीय, डूंगरपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ, प्रतापगढ़़ सहित समस्त आठ केवीके पर यह मशाल यात्रा जायेगी, जहां से कोटा कृषि विश्वविद्यालय को सौंपी जायेगी। उन्होंने बताया कि 21 मार्च 2024 को पुड्डुचेरी से आंरभ हुई, यह मशाल यात्रा संपूर्ण भारत में भ्रमण करते हुये 21 मार्च 2025 को पुनः पुड्डुचेरी पहुंचेगी, जहां इस यात्रा का विराट समापन समारोह होगा। रामसिंह.श्रवण वार्ता