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दुनिया


कश्मीर को छीनने का ख्वाब छोड़ दे पाकिस्तान : भारत

संयुक्त राष्ट्र, 26 सितम्बर (वार्ता) भारत ने पाकिस्तान को आज कड़ी चेतावनी दी कि वह जम्मू-कश्मीर को छीनने का ख्वाब देखना छोड़ दे और साथ ही विश्व समुदाय से आतंकवाद को पोसने वाले इस देश को अलग-थलग करने का आह्वान किया।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 71वें अधिवेशन में अपने संबोधन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के इन आरोपों को पूरी तरह निराधर बताया कि भारत मानवाधिकारों का हनन कर रहा है और पाकिस्तान के साथ बातचीत के लिए उसने शर्तें रखी हैं । उन्होंने बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना द्वारा की जा रही ज्यादतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि जिनके अपने घर शीशे के हों, वह दूसरे के घरों पर पत्थर न फेकें। उन्होंने सवाल किया कि बलूचिस्तान में क्या हो रहा है और खुद पाकिस्तान वहां क्या कर रहा है? और कहा कि बलूचियों पर होने वाले अत्याचार यातना की पराकाष्ठा है।
विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान यदि यह समझता है कि वह आतंकवाद फैलाकर और भड़काऊ बयान देकर भारत का कोई हिस्सा छीन सकता है तो उसका यह मंसूबा कामयाब नहीं होने दिया जायेगा। उन्होंने कहा, “अगर पाकिस्तान समझता है कि ऐसी हरकतें करके तथा भड़काऊ बयान देकर वह भारत का कोई हिस्सा छीन सकता है तो मैंदृढता से यह स्पष्ट करना चाहती हूं कि आपका यह मंसूबा कभी कामयाब नहीं होगा। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और हमेशा रहेगा, आप ख्वाब देखना छोड़ दें।”
जम्मू कश्मीर में जिंदा पकड़े गये पाकिस्तानी आतंकवादी बहादुर अली का उल्लेख करते हुए श्रीमती स्वराज ने कहा कि वह पाकिस्तान से भारत में किये जा रहे सीमा पार आतंकवाद का जीता जागता सबूत है, लेकिन पाकिस्‍तान को जब इन घटनाओं के बारे में बताया जाता है, तो वह तुरंत इंकार करके पल्ला झाड़ लेता है।
उन्होंने पाकिस्तान के साथ बातचीत करने के लिए भारत द्वारा शर्ते लगाये जाने के श्री शरीफ के आरोप को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि भारत ने शर्तों के आधार पर नहीं बल्कि मित्रता के आर पर सभी मसलों को हल करने के लिए पहल की। उन्होंने सवाल किया कि भारत ने कौन सी शर्त लगायी है । उन्होंने कहा ,“ हमने शपथ ग्रहण समारोह में आने के लिए श्री शरीफ को न्यौता देते समय कौन सी शर्त रखी थी। मैं खुद इस्लामाबाद गयी थी और समग्र बातचीत के लिए क्या वहां कोई शर्त रखी थी । प्रधानमंत्री मोदी भी काबुल से लौटते हुए लाहौर उतर गये थे तो क्या वह कोई शर्त लगाकर वहां गये थे। ”
हमने कभी ईद तो कभी क्रिकेट से जुड़ी बधाई दी तो कभी स्वास्थ्य का कुशलक्षेम पूछकर पहल की। भारत ने दो वर्ष में मित्रता का ऐसा पैमाना खड़ा किया जो इससे पहले कभी नहीं था। लेकिन हमें मिला क्या ,कभी बहादुर अली तो कभी पठानकोट और कभी उरी। उन्होंने कहा,“ मैं पूछना चाहती हूं कि हम शर्तें लगा रहे हैं कि आप द्वेष निभा रहे हैं । ”
उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिये बिना कहा कि ऐसे देशों को चिह्नित करने और अलग थलग करने की जरूरत है जो आतंकवाद को प्रश्रय देते हैं और जिनके यहां संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी सरेआम जुलूस निकालते हैं और प्रदर्शन करते हैं। लेकिन वे देश उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते। उन्होंने दुनिया के सभी देशों से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील करते हुए कहा कि आतंकवाद काे पालने-पोसने वाले देशों की पहचान करके उन्हें विश्व समुदाय से अलग-थलग किया जाना चाहिए।
आतंकवाद को मानवाधिकारों का सबसे बड़ा उल्लंघन करार देते हुए विदेश मंत्री ने कहा, “सबसे पहले तो हम सबको यह स्वीकारना होगा कि आतंकवाद मानवाधिकारों का सबसे बड़ा उल्लंघन है, क्योंकि यह निर्दोष लोगों को निशाना बनाता है, बेगुनाहों को मारता है, यह किसी व्यक्ति या देश का ही नहीं, (बल्कि) मानवता का अपराधी है।”
उन्होंने पाकिस्तान या किसी अन्य देश का नाम लिये बिना आतंकवादियों को पनाह देने वाले देशों की पहचान करने की भी आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा, “आतंकवादियों का न तो कोई अपना बैंक है, न हथियारों की फैक्ट्रियां, तो कहां से उन्हें धन मिलता है, कौन इन्हें हथियार देता है, कौन इन्हें सहारा देता है, कौन इन्हें संरक्षण देता है? ऐसे ही सवाल इसी मंच से अफगानिस्‍तान ने भी कुछ दिन पहले उठाए थे।”
श्रीमती स्वराज ने कहा कि दुनिया में ऐसे देश हैं जो बोते भी हैं आतंकवाद, उगाते भी हैं आतंकवाद, बेचते हैं आतंकवाद और निर्यात भी करते हैं आतंकवाद। आतंकवादियों को पालना उनका शौक बन गया है। ऐसे शौकीन देशों की पहचान करके उनकी जबावदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा, “हमें उन देशों को भी चिह्नित करना चाहिए, जहां संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी सरेआम जलसे कर रहे हैं, प्रदर्शन निकालते हैं, जहर उगलते हैं और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। इसके लिए उन आतंकवादियों के साथ वे देश भी दोषी हैं जो उन्हें ऐसा करने देते हैं। ऐसे देशों की विश्‍व समुदाय में कोई जगह नहीं होनी चाहिए।”
संपादक कृपया पूर्व प्रेषित श्रृंखला से जोड़ लें।
उनियाल शोभना
वार्ता
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