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मध्यप्रदेश में दूसरे चरण में भी औसतन आठ प्रतिशत कम हुआ मतदान

मध्यप्रदेश में दूसरे चरण में भी औसतन आठ प्रतिशत कम हुआ मतदान

भोपाल, 27 अप्रैल (वार्ता) मतदान के प्रति जागरुकता बढ़ाने के तमाम प्रयासों के बावजूद मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में छह संसदीय क्षेत्रों में 58़ 35 प्रतिशत मतदान हुआ, जो वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव से लगभग आठ प्रतिशत कम है। उस समय औसतन 67 प्रतिशत मतदान हुआ था।

राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने यहां बताया कि निर्वाचन आयोग ने मतदान बढ़ाने के लिए हरसंभव प्रयास किए हैं। मतदान केंद्रों में बेहतर आधारभूत सुविधाएं बढ़ायी गयी हैं। विभिन्न संचार माध्यमों से मतदाताओं से वोट डालने के लिए बार बार अनुरोध किया गया। उन्होंने कहा, “मतदान बढ़ाने के लिए हम सिर्फ प्रयास ही कर सकते हैं। इस तरह के प्रयास राजनैतिक दल और मीडिया भी कर रहा है।”

राज्य में पहले चरण के लोकसभा चुनाव में छह संसदीय क्षेत्रों में 19 अप्रैल को 67़ 75 प्रतिशत मतदान हुआ था। जबकि इन्हीं क्षेत्रों में वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में औसतन 75़ 07 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था। पहले चरण के मतदान में लगभग सात प्रतिशत गिरावट के बाद निर्वाचन आयोग ने दूसरे चरण में मतदान बढ़ाने के लिए काफी प्रयास किए। इसी तरह के प्रयास सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के नेताओं ने भी किए।

इसके बावजूद राज्य में दूसरे चरण में शुक्रवार को छह संसदीय क्षेत्राें के एक करोड़ 11 लाख 62 हजार से अधिक मतदाताओं में से औसतन 58़ 35 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाले। होशंगाबाद में 66़ 72 प्रतिशत मतदान हुआ है। इसके अलावा दमोह में 56़ 4, खजुराहो में 56़ 91, रीवा में 49़ 49, सतना में 61़ 33 और टीकमगढ़ में 59़ 31 फीसदी मतदान हुआ है। वर्ष 2019 की तुलना में यह मतदान औसतन आठ प्रतिशत कम है।

राज्य में कुल 29 लोकसभा सीट हैं, जिनमें से छिंदवाड़ा को छोड़कर शेष सभी 28 सीटों पर भाजपा का परचम लहरा रहा है। पहले चरण में छह सीटों पर मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है। दूसरे चरण में भी छह सीटों पर मतदान शुक्रवार को हुआ। अब नौ सीटों पर मतदान 07 मई को और शेष आठ सीटों मतदान अंतिम चरण में 13 मई को होगा। मतों की गिनती पूरे देश में एकसाथ चार जून को होगी। राज्य में सभी सीटों पर मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ दल भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के प्रत्याशियों के बीच ही है।

प्रशांत

वार्ता

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