कोलकाता, 04 अप्रैल (वार्ता) अमेरिका के नए पारस्परिक टैरिफ नीति का भारतीय इंजीनियरिंग सामान के निर्यात पर नकारात्मक असर पड़ेगा, खासकर पहले वर्ष तक या जबतक कि भारत अन्य बाजारों में अपनी पकड़ मजबूत नहीं कर लेता।
भारतीय इंजीनियरिंग निर्यात संवर्धन परिषद (ईईपीसी) के अध्यक्ष पंकज चड्ढा ने शुक्रवार को बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 की अप्रैल-फरवरी अवधि में अमेरिका को भारतीय इंजीनियरिंग निर्यात 17.27 अरब डॉलर रहा, जो इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 15.95 अरब डॉलर की तुलना में 8.3 प्रतिशत अधिक है। हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि प्रस्तावित 27 प्रतिशत का पारस्परिक टैरिफ भारत से निर्यात को प्रभावित करने के लिए पर्याप्त है।
ट्रम्प प्रशासन ने अमेरिका में सभी इस्पात और एल्युमीनियम आयात पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की है। श्री चड्ढा का कहना है, “हमारे प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, अमेरिका को इंजीनियरिंग सामान का निर्यात पहले वर्ष में चार-पांच अरब डॉलर तक घट सकता है। हालांकि, वास्तविक प्रभाव अमेरिकी बाजार की इन शुल्कों को अवशोषित करने की क्षमता पर निर्भर करेगा।”
अध्यक्ष ने सुझाव दिया कि भारतीय निर्यातकों को उच्च अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए अपने निर्यात बाजारों में विविधता लाने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि भारत और अमेरिका के बीच चल रहे द्विपक्षीय व्यापार समझौता (बीटीए) की बातचीत से भारतीय उत्पादों पर प्रस्तावित टैरिफ के प्रभाव को कम किया जा सकेगा।
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