नयी दिल्ली, 01 अप्रैल (वार्ता) इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) की फिल्म ‘स्ट्रीम स्टोरी’ को अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिला है।
आईजीएनसीए की ओर से मंगलवार को जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि पेरिस के भव्य मंच पर भारत की सांस्कृतिक विरासत को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली, जब फ्रांसीसी संस्कृति मंत्रालय के ‘डायरेक्शन जनरल डेस पैट्रिमोइनेस एट डे ल'आर्किटेक्चर’ की ओर से आईजीएनसीए की डॉक्यूमेंट्री ‘स्ट्रीम-स्टोरी’ को प्रतिष्ठित ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत पुरस्कार 2025’ के लिए विशेष उल्लेख से सम्मानित किया गया। यह ऐतिहासिक उपलब्धि हिमाचल प्रदेश की प्राचीन ‘कुल्ह’ जल प्रणालियों की अद्वितीय विरासत को वैश्विक मंच पर उजागर करती है, जो न केवल एक इंजीनियरिंग चमत्कार है बल्कि भारतीय संस्कृति और पारिस्थितिकी ज्ञान का अमूल्य हिस्सा भी है।
फ्रांसीसी संस्कृति मंत्रालय के ‘डायरेक्शन जनरल डेस पैट्रिमोइनेस एट डे ल'आर्किटेक्चर’ की ओर से प्रायोजित यह पुरस्कार उन सिनेमाई कार्यों को मान्यता देता है, जो मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत- मौखिक परंपराओं, अनुष्ठानों, प्रदर्शन कलाओं और स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों के संरक्षण की दिशा में कार्य करते हैं और उसका जश्न मनाते हैं।
इस मौके पर आईजीएनसीए के प्रतिनिधि प्रो. अचल पण्ड्या (विभागाध्यक्ष, संरक्षण प्रभाग, आईजीएनसीए) ने पुरस्कार ग्रहण किया और कहा, “यह अंतरराष्ट्रीय मान्यता आईजीएनसीए के लिए एक गौरवपूर्ण उपलब्धि है, जो भारत की विशद् कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए समर्पित है। ‘स्ट्रीम-स्टोरी’ न केवल भारत की विरासत के एक कम-ज्ञात, लेकिन महत्वपूर्ण हिस्से को उभारती है, बल्कि एक जीवंत संग्रह के रूप में सिनेमा की ताकत को भी बयां करती है। यह डॉक्यूमेंट्री न केवल परम्परा का दस्तावेजीकरण करती है, बल्कि उसे तल्लीनता से व्याख्यायित और उद्घाटित करती है।”
सिनेमा डू रील में मिला यह पुरस्कार भारतीय सांस्कृतिक सिनेमा के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, जो जीवंत परंपराओं विलुप्त हो जाने से पहले, उन्हें संरक्षित करने के महत्व पर प्रकाश डालता है। ‘स्ट्रीम-स्टोरी’ विरासत की गतिशीलता, मौखिक परम्पराओं की सुंदरता और हमारे नैसर्गिक जगत में निहित शाश्वत ज्ञान का एक प्रमाण है।
श्रद्धा.संजय
वार्ता