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ईसवी से पूर्व भारत में विक्रम की परम्परा थी: डाॅ. दिवाकर तिवारी

देवरिया,06 अप्रैल(वार्ता) उत्तर प्रदेश के देवरिया में रविवार को नागरी प्रचारिणी सभा के तत्वावधान भारतीय नववर्ष के उपलक्ष्य में विक्रम संवत की महत्ता विषयक संगोष्ठी सभा में पूर्व प्राचार्य डा. दिवाकर प्रसाद तिवारी ने कहा कि ईसवी से पूर्व भारत में विक्रम की परम्परा थी।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता डा.तिवारी ने कहा की ईसवी से पूर्व भारत में विक्रम की परंपरा थी, यह विक्रम कोई और नहीं विष्णु हैं, जिन्हें कहीं कहीं आदित्य भी कहा गया है। हमारे यहां जब प्रकृति अपना श्रृंगार करतीं है और जनसामान्य को बांटती, हर घर को धन-धान्य से पूर्ण करती हैं। उस समय से इस संवत्सर की व्यवस्था ऋषियों ने की।
ईसवी सन से डेढ़ सौ पूर्व इस देश में शक आये थे जो देश के पश्चिमी प्रांत को कमजोर समझकर उसे अपने अधीन करना शुरू किये थे। उन्होंने कहा कि इसी से निपटने के लिए उज्जयिनी के राजा ने कृत संवत के माध्यम से लोगों को एकजुट करना शुरू किया और शकों को पराजित कर विक्रम संवत चलाया।
संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता बृद्धिचन्द्र विश्वकर्मा ने उपस्थित वक्ताओं और श्रोताओं को सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन प्रधानाचार्य अभय द्विवेदी ने किया। सम्पूर्ण कार्यक्रम का आयोजन नागरी प्रचारिणी सभा के मंत्री डा.अनिल कुमार त्रिपाठी ने किया।
सं सोनिया
वार्ता