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देश के आखिरी गांव को प्रथम गांव बनाने की बाइब्रेंट योजना

देश के आखिरी गांव को प्रथम गांव बनाने की बाइब्रेंट योजना

नयी दिल्ली, 04 अप्रैल (वार्ता) सरकार ने देश की सीमा पर बसे आखिरी गांवों को प्रथम गांव बनाने के वास्ते उनके विकास के लिए बाइब्रेंट गांव कार्यक्रम की घोषणा की है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में शुक्रवार को मंत्रीमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी। सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बैठक के बाद यहां संवाददाता सम्मेलन में बताया कि सरकार ने सीमा पर बसे आखिरी गांव को प्रथम गांव बनाने का कार्यक्रम बनाया है और इसके तरह 2000 से ज्यादा गांवाों की पहचान कर इनके विकास के लिए बाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम बनाया गया है। उन्होंने कहा,“ इन गांवों में पर्यटक आएं और गांवों का समग्र विकास हो इसके लिए वहां मंत्री विश्राम करेंगे और वरिष्ठ अधिकारी भी जाकर विजिट करेंगे। गांवों में बुनियादी ढांचे का विकास किया जाएगा। सीमावर्ती गांव में किसान तथा अन्य लोगों के उत्पादों की खरीद शुरु हुई तो वहां जीडीपी अचानक बढने लगी। स्थानीय गांव से सेना आदि अपनी जरूरत का सामान खरीद रहे हैं जिससे ग्रामीणों को सीधा लाभ हो रहा है। इससे इन गांव में इसके जरिए आर्थिक गतिविधियां बढ रही हैं और ये गांव राष्ट्र के विकास तथा सीमा पर सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण बन रहे है।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा,“बोर्डर के गांव के दूसरे चरण को कवर कर लिया गया है जिसमें 6839 करोड़ रुपए की परियोजना शुरु हुई है। इसी तरह से देश के सभी सीमावर्ती गांव में बेहतर कनेक्टिविटी और जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए काम किया जा रहा है। इसमें बिजली, संचार, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए प्रधानमंत्री गतिशक्ति एप का उपयोग किया जा रहा है।”

उन्होंने कहा कि कार्यक्रम को 100 फीसदी केंद्रीय योजना के तहत मंजूरी दी गई है और इसका मकसद 2047 के विकसित भारत के लक्ष्य को आगे बढ़ाना है। यह कार्यक्रम 6,839 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ 2028-29 तक अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के के चुनिदा रणनीतिक गांवों में लागू किया जाएगा।

कार्यक्रम का उद्देश्य समृद्ध और सुरक्षित सीमा सुनिश्चित कर सीमा पार अपराध को नियंत्रित करने और सीमा पर रहने वाले लोगों को राष्ट्र के साथ आत्मसात कर उन्हें ‘सीमा सुरक्षा बलों की आंख और कान’ के रूप में तैयार करना है जिसके लिए इन गांवों के लोगों को बेहतर जीवन स्थितियां और पर्याप्त आजीविका के अवसर गांव में मिल सकें।

इस कार्यक्रम के तहत सीमावर्ती इन गांवों में बुनियादी ढांचे के विकास, सहकारी समितियों, स्वयं सहायता समूहों आदि के माध्यम से कार्यक्रम चलाना, सीमा विशेष आउटरीच गतिविधि, स्मार्ट कक्षाओं जैसे शिक्षा के बुनियादी ढांचे, पर्यटन सर्किटों के विकास और सीमावर्ती क्षेत्रों में विविध और टिकाऊ आजीविका के अवसर पैदा करने के लिए कार्यों परियोजनाओं के लिए धन उपलब्ध कराया जाएगा। इन गांवों के लिए बारहमासी सड़क संपर्क का निर्माण ग्रामीण विकास मंत्रालय के कार्यक्रम के तहत किया जाएगा।

अभिनव,आशा

वार्ता

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