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राज्य


वीर नर्मद युनिवर्सिटी का दीक्षांत समारोह आयोजित

सूरत 07 अप्रैल (वार्ता) गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत की अध्यक्षता में वीर नर्मद युनिवर्सिटी का 56वां दीक्षांत समारोह सोमवार को आयोजित किया गया।
श्री देवव्रत ने आज वीर नर्मद दक्षिण गुजरात युनिवर्सिटी के 56वें दीक्षांत समारोह में आह्वान किया कि जिन विद्यार्थियों ने कॉलेज शिक्षण द्वारा जो ज्ञान प्राप्त किया है, वह मात्र स्व-उत्कर्ष के लिए नहीं बल्कि लोक कल्याण और राष्ट्रनिर्माण के लिए उपयोग में लें। ईमानदारी और मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाते। उन्होंने विद्यार्थियों को जीवनभर विद्यार्थी बने रहने और प्रमाणिकता-ज्ञानोपार्जन को जीवन के साथ बुन लेने की सीख दी।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, तकनीकी एवं उच्च शिक्षा मंत्री ऋषिकेशभाई पटेल और शिक्षा राज्यमंत्री प्रफुलभाई पानसेरिया की विशेष उपस्थिति में युनिवर्सिटी के कन्वेंशन हॉल में आयोजित समारोह में राज्यपाल और महानुभावों के करकमलों से 12 विद्याशाखाओं के 79 अभ्यासक्रमों के 10,415 छात्र-छात्राओं को मेडल्स और डिग्रियां प्रदान की गईं। इसके साथ ही, 44 पीएच.डी. तथा एक एम.फिल. की डिग्री भी अर्पण की गई। समारोह की विशेषता यह रही कि सूरत की सूर्यपुर संस्कृत पाठशाला के 11 ऋषिकुमारों ने शंखनाद और दस भुदेवों ने वैदिक मंत्रोच्चार, शंखनाद और तैत्तरीय उपनिषद के श्लोकगान के साथ भारतीय संस्कृति की प्राचीन गुरुकुल परम्परा को उजागर किया।
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि भारत की प्राचीन गुरुकुल परम्परा में भी ऋषि-मुनियों ने अपने शिष्यों को शिक्षा-दीक्षा अर्पण कर अंत में 'सत्यं वद धर्मं चर स्वाध्यायान्मा प्रमदः' सत्य बोलना, धर्म का आचरण करना और अभ्यास में आलस नहीं करना आदि उपदेश दिया करते थे। उन्होंने डिग्री ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों को स्वाध्याय में- ज्ञान उपार्जन में कभी आलस नहीं करने को कहा।
राष्ट्रनिर्माण भौतिक सुविधाओं से नहीं बल्कि वीर माताओं के सतीत्व और उनके प्रतापी पुत्रों के संस्कारों और समर्पण से होता है। इसका उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सुशिक्षित होना पर्याप्त नहीं है। गुणवान और सुसंस्कृत होना भी जरूरी है। हमें मूल्यनिष्ठ, सभ्य समाज के प्रति जवाबदेह होना चाहिए। राष्ट्र के निर्माण के लिए सुसंस्कारित बनना समय की मांग है।
उपलब्धियां और सिद्धियां सर्वजन कल्याण के लिए उपयोगी बने, ऐसे सामूहिक प्रयास करें। यह सीख देते हुए राज्यपाल ने कहा कि ‘मातृदेवो भव:, पितृदेवों भव:, आचार्य देवोभव: और अतिथि देवोभव:’ के हमारे संस्कृति भाव को हृदय में उतारना चाहिए। देश को आत्मनिर्भर और विकसित बनाने के लिए कार्यरत प्रधानमंत्री नरेन्द्रभाई मोदी के ‘विकसित भारतएट2047’ संकल्प को साकार करने के लिए सामूहिक पुरुषार्थ करने की आवश्यकता पर उन्होंने बल
दिया।
विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जीवन के अमूल्य वर्षों में अध्ययन के पश्चात आपको अपने करियर निर्माण हेतु विशाल और स्वतंत्र मंच पर कठोर परिश्रम, कुशलता और सामर्थ्य के साथ उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करना है। ज्ञान प्राप्ति के बाद अब ऐसा जीवन आकार दें कि आने वाली पीढ़ियां आपसे प्रेरणा लें। राज्यपाल ने सभी डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं भी दीं।
स्वास्थ्य, तकनीकी और उच्च शिक्षा मंत्री श्री ऋषिकेशभाई पटेल ने कहा कि केवल धन कमाने की अपेक्षा नहीं होनी चाहिए, बल्कि प्राप्त ज्ञान का उपयोग समाज, राज्य और देश के कल्याण हेतु सार्थक रूप से किया जाना चाहिए। युवाओं को देश की प्रगति की दिशा तय करनी है, क्योंकि देश की उन्नति और समृद्धि की बागडोर युवाओं के हाथ में है। नर्मदा विश्वविद्यालय भारतीय संस्कृति और आर्य मूल्यों को पुनः स्थापित करने का कार्य कर रही है, यह बताते हुए उन्होंने संपूर्ण विश्वविद्यालय प्रशासन को बधाई दी।
उन्होंने कहा कि एआई और आधुनिक तकनीक के युग में विकास का मार्ग खुला है, लेकिन साथ ही तकनीक के दुष्प्रभाव भी व्यापक तौर पर हो रहे हैं। ऐसे समय में युवाओं को चाहिए कि वह तकनीक का विवेकपूर्ण उपयोग करें, हमारे प्राचीन मूल्यों को न छोड़ें और ज़मीन से जुड़े रहकर अवसरों का उपयोग उज्ज्वल भविष्य निर्माण में करें।
अनिल , जांगिड़
जारी वार्ता