नयी दिल्ली, 16 दिसंबर (वार्ता) ‘फिक्की ईवी पब्लिक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर रोडमैप 2030’ रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक 30 प्रतिशत से अधिक विद्युतीकरण के मिशन को प्राप्त करने के लिए, 2030 तक भारत की सार्वजनिक चार्जिंग मांग को पूरा करने के वास्ते 16,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय की आवश्यकता होगी।
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि 2015 से 2023-24 तक उनकी ईवी बिक्री के आधार पर विश्लेषण किए गए 700 से अधिक शहरों में से शीर्ष 40 शहरों और 20 राजमार्ग खंडों को सार्वजनिक चार्जिंग बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए प्राथमिकता दी जा सकती है। वर्तमान ईवी अपनाने की दर और अनुकूल राज्य नीतियों को देखते हुए इन शीर्ष 40 शहरों में अगले 3-5 वर्षों में ईवी पैठ बढ़ने की उम्मीद है। और इन 40 प्राथमिकता वाले शहरों को जोड़ने वाले 20 राजमार्ग खंड वाहनों के 50 प्रतिशत यातायात में योगदान करते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों के लिए वर्तमान वित्तीय व्यवहार्यता 2 प्रतिशत से कम उपयोग दर पर बनी हुई है और लाभप्रदता और मापनीयता प्राप्त करने के लिए, हमें 2030 तक 8 से10 प्रतिशत उपयोग का लक्ष्य रखना होगा। एक केस स्टडी का हवाला देते हुए, रिपोर्ट ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जर्मनी ने 5 से10 प्रतिशत उपयोग दरों और राजमार्गों पर 16 प्रतिशत से अधिक उपयोग दरों के साथ एक आर्थिक रूप से व्यवहार्य सार्वजनिक चार्जिंग नेटवर्क बनाया है। इसके लिए खिलाड़ियों को सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए हॉट स्पॉट की पहचान करने के लिए हाइपर-ग्रैनुलर प्लानिंग के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ सहयोग करने की आवश्यकता हो सकती है।
रिपोर्ट में उन प्रमुख चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला गया है, जिन्हें चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए संबोधित करने की आवश्यकता है, जिसमें वित्तीय बाधाओं जैसे कि उच्च बुनियादी ढाँचा लागत और कम उपयोग दर से लेकर परिचालन बाधाएँ जैसे कि निर्बाध बिजली आपूर्ति की कमी और इंटरऑपरेबिलिटी को सक्षम करने के लिए मानकीकृत प्रोटोकॉल की कमी शामिल है।
शेखर
वार्ता