नयी दिल्ली 14 अक्टूबर (वार्ता) राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने अस्थमा, ग्लूकोमा, थैलेसीमिया, तपेदिक तथा मानसिक स्वास्थ्य विकारों आदि के उपचार की आठ आवश्यक दवाओं की कीमतों में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी को मंजूरी दी है।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सोमवार को यहां बताया कि प्राधिकरण की बैठक में विस्तृत विचार-विमर्श के बाद आठ दवाओं के ग्यारह अनुसूचित योगों की अधिकतम कीमतों में उनकी वर्तमान अधिकतम कीमतों के 50 प्रतिशत की वृद्धि को मंजूरी दे दी है। इनमें से अधिकांश दवाएँ कम लागत वाली हैं और आम तौर पर देश के जन स्वास्थ्य कार्यक्रमों के लिए महत्वपूर्ण प्रथम उपचार के रूप में उपयोग की जाती हैं। इन दवाओं का उपयोग अस्थमा, ग्लूकोमा, थैलेसीमिया, तपेदिक, मानसिक स्वास्थ्य विकारों आदि के उपचार के लिए किया जाता है।
जिन फार्मूलों के लिए अधिकतम मूल्य संशोधित किए गए हैं, उनमें शामिल बेंज़िल पेनिसिलिन 10 लाख आईयू इंजेक्शन, एट्रोपिन इंजेक्शन 06.एमजी और एमएल, इंजेक्शन के लिए स्ट्रेप्टोमाइसिन पाउडर 750 एमजी और 1000 एमजी, साल्बुटामोल टैबलेट 2 एमजी और 4 एमजी तथा रेस्पिरेटर सॉल्यूशन 5 एमजी और एमएल, पिलोकार्पाइन 2 प्रतिशत ड्रॉप्स, सेफैड्रोक्सिल टैबलेट 500 एमजी, इंजेक्शन के लिए डेसफेरियोक्सामाइन 500 एमजी, तथा लिथियम टैबलेट 300 एमजी हैं।
मंत्रालय के अनुसार इस कदम का उद्देश्य आवश्यक दवाओं की किफायती कीमतों पर उपलब्धता सुनिश्चित करना तथा ऐसी दवाओं तक पहुँच की सामर्थ्य सुनिश्चित करना है। देश की जन स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक दवाएँ उपलब्ध रहनी चाहिए तथा उनके मूल्य विनियमन से ऐसी स्थिति नहीं आनी चाहिए कि ये दवाएँ बाज़ार में अनुपलब्ध हो जाएं।
एनपीपीए को निर्माताओं से कीमतों में बढ़ोतरी के लिए आवेदन मिल रहे हैं, जिसमें सक्रिय दवा सामग्री की बढ़ती लागत, उत्पादन लागत में वृद्धि, विनिमय दर में बदलाव आदि जैसे विभिन्न कारणों का हवाला दिया गया है। इसके परिणामस्वरूप दवाओं के सतत उत्पादन और विपणन में अव्यवहार्यता हो रही है। कंपनियों ने कुछ फॉर्मूलेशन को उनकी अव्यवहार्यता के कारण बंद करने के लिए भी आवेदन किया है।
सत्या.संजय
वार्ता