नयी दिल्ली 30 नवंबर (वार्ता) कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के केंद्रीय न्यास बोर्ड (सीबीटी) ने केंद्र सरकार को ईपीएफओ माफी योजना 2024 की सिफारिश की है जिसका उद्देश्य नियोक्ताओं को स्वेच्छा से पिछले गैर-अनुपालन या कम-अनुपालन का खुलासा करने और उसे सुधारने के लिए प्रोत्साहित करना है।
केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया की अध्यक्षता में शनिवार को यहां हुई सीबीटी की 236 वीं बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया।
ईपीएफओ माफी योजना नियोक्ताओं की ओर से एक सरल ऑनलाइन घोषणा लाभ उठाने के लिए पर्याप्त होगी। स्वैच्छिक अनुपालन के लिए एक सीमित अवधि प्रदान करके, इस योजना का उद्देश्य अधिक कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करना, नियोक्ताओं के साथ विश्वास का पुनर्निर्माण करना और कार्यबल के औपचारिकीकरण को बढ़ावा देना है।
यह योजना रोजगार सृजन को बढ़ावा देने और अर्थव्यवस्था में नौकरियों को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्रीय बजट 2024-25 में घोषित रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के कार्यान्वयन के अनुसार है।
बैठक में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग तथा श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री तथा सीबीटी, ईपीएफओ की उपाध्यक्ष शोभा करंदलाजे, मंत्रालय में सचिव तथा सीबीटी, ईपीएफओ की सह-उपाध्यक्ष सुमिता डावरा तथा केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त एवं सदस्य सचिव रमेश कृष्णमूर्ति भी उपस्थित थे।
बैठक में बताया गया कि वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान ईपीएफओ ने 1.82 लाख करोड़ रुपये की राशि के 4.45 करोड़ दावों का निपटारा किया। चालू वित्त वर्ष में 1.57 लाख करोड़ रुपये से अधिक के 3.83 करोड़ दावों का निपटारा पहले ही किया जा चुका है। ईपीएफओ में ऑपरेटिंग सिस्टम का नया संस्करण लागू किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप दावा निपटान प्रक्रिया सरल हो जाएगी।
सीबीटी ने ईपीएफ योजना में एक महत्वपूर्ण संशोधन को मंजूरी दी। मौजूदा प्रावधानों के अनुसार, महीने की 24 तारीख तक निपटाए गए दावे के लिए , ब्याज का भुगतान केवल पिछले महीने के अंत तक किया जाता है। अब, निपटान की तारीख तक सदस्य को ब्याज का भुगतान किया जाएगा। इससे सदस्यों को वित्तीय लाभ होगा और शिकायतें कम होंगी।
सीबीटी ने ईपीएफ अंशदान के केंद्रीकृत संग्रह के लिए बैंकों के पैनल के मानदंडों को सरल बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इसमें अब आरबीआई के साथ सूचीबद्ध सभी बैंक शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त, सीबीटी ने शर्तों के साथ
अन्य अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के पैनल को भी मंजूरी दे दी है।
सत्या अशोक
वार्ता