नयी दिल्ली 15 अक्टूबर (वार्ता) भगवान श्रीराम की नगरी उत्तर प्रदेश के अयोध्या में दो नवंबर से 28 दिसंबर तक श्री महा नारायण दिव्य रूद्र सहित चंडी विश्व शांति महायज्ञ होने जा रहा है।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट, श्री कांची कामकोटि पीठ चिन्मयी सेवा ट्रस्ट की ओर से यहां पर मंगलवार को संवाददाता का आयोजन किया गया, जिसमें इस महायज्ञ की तैयारियों और उदेश्यों के बारे में विस्तार से बताया गया। संवाददाता सम्मेलन में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता एवं चांदनी चौक के सांसद प्रवीण खंडेलवाल, विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय सचिव अशोक कुमार, स्वामी जितेंद्र सरस्वती, आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव एल.वी. सुब्रमण्यम, सुधाकर राव फाउंडेशन के अध्यक्ष जी.वी. अंशुमान राव, श्री सत्यभूषण जैन, श्री बी. सी भारतीय, श्री अशोक भारद्वाज और एस.डी. एम. मूर्ति उपस्थित रहे।
इस मौके पर श्री स्वामी जितेंद्र सरस्वती ने कहा कि भगवान श्री राम की पवित्र नगरी अयोध्या हमेशा लूटती, पीटती और नष्ट होती रही हैं। उन्होंने कहा कि इस नगरी को अंतिम बार राजा विक्रमादित्य ने आबाद किया था। उन्होंने कहा, “अयोध्या का नाम अवध है, जिसका अर्थ होता है किसी की हत्या न होगा, लेकिन ऐसी पवित्र नगरी में मुगल बादशाह बाबर के आगमन के बाद यानी 1528 से लेेकर 20वीं शदी तक छह सौ साल से अधिक समय में समय-समय पर रक्तपात होते रहे हैं और प्रभु श्री राम की पावन भूमि लहू लुहान होती रही है। ऐसे में जब वहां पर भगवान श्री राम के भव्य मंदिर का निर्माण हो चुका है, तो विश्व कल्याण और शांति की कामना को लेकर इस महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है।”
उन्होंने कहा, “पहले अयोध्या में दीपावली नहीं मनायी जाती थी, लेकिन जब से प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी है और योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने हैं, तब से वहां पर भव्य तरीके से दीपोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं और आप सभी से आग्रह करता हूं कि इस महायज्ञ के बारे में लोगों तक जानकारी पहुंचाए, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस सनातन संस्कृति में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले सकें।”
संवाददाता सम्मेलन में प्रतिनिधियों ने बताया कि इस महायज्ञ में शामिल होने वाले लोगों के ठहरने और उनकी सुरक्षा को लेकर व्यापक इंतजाम किये गये हैं। उन्होंने बताया कि 57 दिनों तक चलने वाले इस महायज्ञ में प्रतिदिन दो से तीन लाख लोगों के शामिल होने का अनुमान है।
संतोष, उप्रेती
वार्ता