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ठोस योजनाओं और निरंतर प्रतिबद्धता से डिजिटल शिक्षा का लक्ष्य संभव : रत्ना

ठोस योजनाओं और निरंतर प्रतिबद्धता से डिजिटल शिक्षा का लक्ष्य संभव : रत्ना

नयी दिल्ली 19 दिसंबर (वार्ता) रीच टू टीच की मुख्य कार्यकारी अधिकाराई (सीईओ) रत्ना विश्वनाथन ने आज कहा कि सिर्फ ठोस योजनाओं और निरंतर प्रतिबद्धता के जरिए ही भारत एक ऐसी शिक्षा प्रणाली बना सकता है, जिससे डिजिटल शिक्षा के लक्ष्य को हासिल करना संभव हो सकता है।

सुश्री विश्वनाथन ने गुरुवार को जारी बयान में डिजिटल शिक्षा की दिशा में भारत के सफर का जिक्र करते हुए सरकारी विद्यालयों में डिजिटल सुविधाओं की मौजूदा स्थिति और इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के रास्ते पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 में शिक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत के 10 लाख 22 हजार 386 सरकारी विद्यालयों में से केवल 24 प्रतिशत में ही डिजिटल पहुंच है। इनमें से 37.7 प्रतिशत विद्यालयों में कंप्यूटर हैं लेकिन उनमें से भी सिर्फ 10 प्रतिशत कंप्यूटर सही तरीके से काम कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा, "एडटेक से जुड़े कई ऐप बनाए गए हैं लेकिन ये सिर्फ कुछ बच्चों तक ही सीमित हैं। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चों को इनका लाभ नहीं मिल पाता।"

रीच टू टीच की सीईओ ने कहा कि शहरी और ग्रामीण शिक्षा का अंतर

इस आंकड़े से यह साफ है कि शहरी और ग्रामीण विद्यालयों में बड़ी खाई है। जहां शहरी निजी विद्यालयों ने डिजिटल तकनीक को अपनाने में तेजी दिखाई है वहीं ग्रामीण और अर्ध-शहरी सरकारी विद्यालय बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं। यह असमानता शिक्षा को सभी के लिए समान अधिकार के बजाय एक विशेषाधिकार बना रही है।

फिर भी, सकारात्मक बदलाव हो रहे हैं। वर्ष 2017-18 में सरकारी विद्यालयों में सिर्फ 5.5 प्रतिशत विद्यालयों में इंटरनेट था लेकिन आज यह प्रतिशत बढ़ा है।

सुश्री विश्वनाथन ने कहा, "शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटल परिवर्तन के लिए बजट बढ़ाना होगा ताकि हम चॉकबोर्ड से कीबोर्ड की ओर बदलाव को सफल बना सकें। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 ने डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने का मजबूत आधार तैयार किया है। इस कंप्यूटर साक्षरता दिवस पर हमारी उम्मीद है कि अगले कुछ वर्षों में डिजिटल शिक्षा हर बच्चे तक पहुंचेगी। एनईपी 2020 डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हुए प्राथमिक स्तर से ही सभी बच्चों को समान अवसर देने की सिफारिश करता है।"

रीच टू टीच की सीईओ ने कहा कि डिजिटल शिक्षा को प्रभावी बनाने के लिए न केवल इंटरनेट और हार्डवेयर जरूरी हैं बल्कि शिक्षकों को डिजिटल तकनीक में प्रशिक्षित करना और बच्चों के लिए उनकी भाषा में सामग्री उपलब्ध कराना भी महत्वपूर्ण है। सरकारी विद्यालयों में डिजिटल साक्षरता का विस्तार करना लाखों बच्चों के लिए नए अवसर पैदा करेगा। यह कदम न केवल शिक्षा के स्तर को सुधारने में मदद करेगा बल्कि भारत को एक वैश्विक तकनीकी केंद्र के रूप में मजबूत करेगा।

सुश्री विश्वनाथन ने कहा कि स्पष्ट है कि सरकार, निजी संस्थान और शैक्षणिक संगठन मिलकर प्रयास करें तो डिजिटल शिक्षा के लक्ष्य को हासिल करना संभव है। उन्होंने कहा कि सिर्फ ठोस योजनाओं और निरंतर प्रतिबद्धता के जरिए ही भारत एक ऐसी शिक्षा प्रणाली बना सकता है, जहां हर बच्चे को समान अवसर मिले और डिजिटल युग में वे पीछे न छूटें।

सूरज

वार्ता

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