नयी दिल्ली, 02 जनवरी (वार्ता) केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेडी ने कहा है कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए अस्पताल के साथ संस्कृत और शान्ति मन्त्र का भी महत्व है।
प्रो वरखेडी ने ये बातें काश्मीर शैव दर्शन के प्रख्यात चिन्तक एवं सन्त के नाम से प्रख्यात ‘श्री मुक्तानन्द - संस्कृत महाविद्यालय, शान्ति मन्दिर ,वलसाड मण्डल ,गुजरात के 26 वें वार्षिक उत्सव सत्संग में कही। उन्होंने कहा कि आज विश्व के बड़े- बड़े संस्थानों में दुनिया के बहुत ही प्रतिभा संपन्न लोग कार्य कर रहे हैं, लेकिन वे मानसिक तनाव से ग्रस्त हैं । अतः अभी अस्पतालों की स्थापना के साथ साथ शान्ति मन्त्र के माहात्म्य पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि संस्कृत के शिक्षण संस्थानों तथा महाविद्यालयों या विश्वविद्यालयों में इस तरह का तनाव नहीं दिखाई देता है । इसका बहुत बड़ा कारण संस्कृत की अदभूत शास्त्र शक्ति तथा इसके अध्ययन और अध्यापन करने वालों का उत्सव प्रेमी होना भी माना जा सकता है ।
उन्होंने कहा कि गुरु बनने के लिए मात्र विद्या ही नहीं चाहिए , बल्कि इसके लिए यह भी बहुत आवश्यक है कि उसमें सद आचरण भी हो। हमें यह भी नहीं भुलना चाहिए कि आज दुनिया में आतंकवादी क्रिया कलापों में बहुत ही पढे लिखे लोग का भी संलग्न होने का समाचार पढने को मिलता रहता है। इसी क्रम में उन्होंने दुनिया को हिला देने वाली अमेरिका में हुए आतंकवादी घटना को भी स्मरण दिलाया, जिसमें हवाई जहाज से वैश्विक अर्थव्यवस्था के गगनचुम्बी भवनों को कैसे उड़ा दिया गया था।
प्रो वरखेडी ने कहा कि इस सहिष्णुता तथा मेल जोल की संस्कृति की शिक्षा संस्कृत में व्यापक रूप में पढ़ने को मिल सकता है । उन्होंने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्य की बात है कि पढे लिखे लोग भी हाथों में हथियारों लिये आतंक फैला रहें हैं या इसको रचने में संलग्न हैं।
संतोष.अभय
वार्ता