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एचएएल को महारत्न दर्जा: एयरोस्पेस उद्योग की दिशा में भारत का विकास

एचएएल को महारत्न दर्जा: एयरोस्पेस उद्योग की दिशा में भारत का विकास

नयी दिल्ली 14 अक्टूबर (वार्ता) रक्षा उपकरण विशेषकर हल्के लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर बनाने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की प्रमुख कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को प्रतिष्ठित महारत्न का दर्जा मिल गया है।

महारत्न का दर्जा प्राप्त करने वाली यह कंपनी 14वीं सरकारी उपक्रम है। यह मील का पत्थर एचएएल के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो भारतीय एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र में एक प्रमुख कंपनी है।

वित्त सचिव की अध्यक्षता वाली अंतर-मंत्रालयी समिति (आईएमसी) और कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली शीर्ष समिति दोनों की सिफारिशों के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एचएएल को महारत्न का दर्जा दिये जाने काे मंजूरी दी है।

वित्त मंत्रालय ने आज यहां जारी बयान में कहा कि सरकार ने वैश्विक स्तर की कंपनी बनने की अपनी यात्रा में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ वाले सरकारी उपक्रमों की पहचान करने और उनका समर्थन करने के लिए 1997 में ‘नवरत्न’ योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत, ‘नवरत्न’ सीपीएसई को पूंजीगत व्यय, संयुक्त उद्यम और मानव संसाधन प्रबंधन में अधिकार दिए गए थे। चूंकि इनमें से कई कंपनियां अपनी जैसी कंपनियों की तुलना में काफी बड़ी हो गई थीं, इसलिए भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) बनने की क्षमता रखने वालों को मान्यता देने के लिए एक नए वर्गीकरण- ‘महारत्न’ की आवश्यकता पैदा हुई। यह उच्च दर्जा अन्य ‘नवरत्न’ कंपनियों को प्रोत्साहित करता है, ब्रांड मूल्य को बढ़ाता है, और सीपीएसई को अधिक शक्तियों के प्रतिनिधिमंडल की अनुमति देता है, जिससे आगे की वृद्धि और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलता है।

भारत में सीपीएसई को महारत्न का दर्जा दिया जाता है, जिससे उन्हें अधिक परिचालन और वित्तीय स्वायत्तता मिलती है। इस दर्जे के लिए योग्य होने के लिए, कंपनियों को विशिष्ट मानदंडों को पूरा करना होगा, जिनमें कंपनी को पहले नवरत्न दर्जा दिया जाना चाहिए, कंपनी को भारतीय शेयर बाजार में सूचीबद्ध होना चाहिए, जो सार्वजनिक शेयरधारिता के संबंध में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियमों का अनुपालन करती हो। पिछले तीन वर्षों में 25,000 करोड़ से अधिक का औसत वार्षिक कारोबार हो। इसी अवधि के दौरान 15,000 करोड़ रुपये से अधिक की औसत वार्षिक शुद्ध संपत्ति हो। पिछले तीन वर्षों में कर के बाद औसत वार्षिक शुद्ध लाभ 5,000 करोड़ रुपये से अधिक हो और कंपनी के पास महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय परिचालन या वैश्विक उपस्थिति होनी चाहिए।

एचएएल ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 28,162 करोड़ रुपये का कारोबार और 7,595 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया, जिससे भारत में एक अग्रणी सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम के रूप में इसकी स्थिति मजबूत हुई। यह वित्तीय सफलता एचएएल की रणनीतिक पहलों और एयरोस्पेस उद्योग में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका का प्रमाण है।

महारत्न का दर्जा प्राप्त करने से एचएएल को वित्तीय स्वायत्तता प्राप्त होगी, जिससे उसे बिना किसी पूर्व सरकारी मंजूरी के महत्वपूर्ण निवेश निर्णय लेने में मदद मिलेगी। इस स्वायत्तता से परियोजना के त्वरित क्रियान्वयन, नवाचार को बढ़ावा देने और परिचालन दक्षता में वृद्धि की उम्मीद है। इसके अलावा, यह दर्जा एचएएल को भारत में सबसे प्रभावशाली और वित्तीय रूप से स्थिर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में से एक बनाता है जो न केवल देश के भीतर बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसके रणनीतिक महत्व को उजागर करता है।

शेखर

वार्ता

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