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100 ई कॉमर्स निर्यात हब स्थापित करने की जरूरत: फर्स्ट इंडिया

100 ई कॉमर्स निर्यात हब स्थापित करने की जरूरत: फर्स्ट इंडिया

नयी दिल्ली, 22 अक्टूबर (वार्ता) फोरम फॉर इंटरनेट रिटेलर्स, सेलर्स एंड ट्रेडर्स (फर्स्ट इंडिया) ने भारतीय एमएसएमई के अंतरराष्ट्रीय व्यापार में सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों से निपटने के लिए 100 से अधिक ई कॉमर्स निर्यात हब स्थापित करने की आवश्यकता पर बतायी है।

इंडिया फर्स्ट ने इसको लेकर मंगलवार को यहां विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) के प्रमुख अधिकारियों के साथ एक गोलमेज बैठक आयोजित की। चर्चा में सीमा-पार भुगतान मुद्दों, जटिल कस्टम प्रक्रियाओं और निर्यात नीतियों की सीमाओं को वैश्विक विस्तार के लिए मुख्य बाधाओं के रूप में उजागर किया गया। प्रतिभागियों ने सहमति जताई कि ई-कॉमर्स निर्यात हब (ईसीईएच) की स्थापना में तेजी लाने से भारतीय एमएसएमई की वैश्विक महत्वाकांक्षाओं का समर्थन होगा, जिससे प्रक्रियाओं को सरल बनाया जा सकेगा और विक्रेता अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अधिक कुशलता से नेविगेट कर सकेंगे। बैठक में 100 निर्यात हब स्थापित करने के लक्ष्य को दोहराया गया और देश के एक लाख करोड़ डॉलर के कुल निर्यात के बड़े उद्देश्य में योगदान देने की पुष्टि की। वर्तमान में वाणिज्य निर्यात सिर्फ 4से5 अरब डॉलर है जो वित्त वर्ष 2023 में भारत के कुल माल निर्यात का मात्र 0.9 प्रतिशत से 1.1 प्रतिशत है। सरकार के 200 से 300 अरब डॉलर के ई-कॉमर्स निर्यात लक्ष्य को पूरा करने के लिए, प्रतिभागियों ने मौजूदा निर्यात स्तरों को 50 से 60 गुना बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

संयुक्त डीजीएफटी मोइन अफ़ाक़ ने कहा “ डीजीएफटी पूरे व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र के लाभ के लिए सहयोग को बढ़ावा देने और पारदर्शी, सुलभ प्रणाली स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है, साथ ही निर्यात के संवर्धन के लिए क्षमता निर्माण और कौशल विकास के प्रयासों को भी बढ़ावा देता है। ट्रे़ड कनेक्ट पोर्टल और एक्सिम पाठशाला जैसी पहलें सभी हितधारकों को सशक्त और शिक्षित करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं। हम लॉजिस्टिक्स, वेयरहाउसिंग, पैकेजिंग और लेबलिंग जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर शैक्षिक सामग्री विकसित करने के लिए प्रमुख उद्योगों को हमारे साथ सहयोग करने के लिए आमंत्रित करते हैं। ई-कॉमर्स निर्यात, प्रोत्साहनों और तकनीकी हस्तक्षेपों पर क्षमता निर्माण के बारे में साझा किए गए विचार अमूल्य रहे हैं और हम इन अवधारणाओं की खोज करने की आशा करते हैं ताकि हमारी सीमा-पार ई-कॉमर्स क्षमताओं को और बढ़ाया जा सके।”

इंडिया एसएमई फोरम के अध्यक्ष एवं फर्स्ट इंडिया के ट्रस्टी विनोद कुमार ने कहा, “ ई-कॉमर्स एमएसएमई को वैश्विक बाजारों तक पहुंच प्रदान करने का एक अनूठा अवसर है और हम मानते हैं कि भारत आसानी से 2030 तक 200 अरब सीमा पार निर्यात लक्ष्य को पार कर सकता है। हालांकि, हमें इस वृद्धि को बाधित करने वाले भुगतान और कस्टम से संबंधित मौजूदा चुनौतियों को दूर करने की आवश्यकता है। ई-कॉमर्स निर्यात हब जैसी पहलों के माध्यम से हम सरकार और भागीदारों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि एमएसएमई को वैश्विक व्यापार में सफल होने के लिए एक अनुकूल वातावरण तैयार किया जा सके।”

सरकार ने इस साल की शुरूआत में ई-कॉमर्स निर्यात को बढ़ावा देने और सरल बनाने के लिए ई-कॉमर्स निर्यात हब (ईसीईएच) स्थापित करने की योजना की घोषणा की थी। इस पहल का उद्देश्य सीमा-पार लेन-देन को सरल बनाना, अनुपालन बोझ को कम करना और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में वृद्धि को बढ़ावा देना है। डीजीएफटी ने एमएसएमई निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 'जिला निर्यात हब' पहल के तहत अमेज़न और डीएचएल जैसे प्लेटफार्मों के साथ सहयोग किया है। हाल के महीनों में, डीजीएफटी ने 76 जिलों में एमएसएमई को प्रशिक्षण देने के लिए डीएचएल के साथ और 20 जिलों में निर्यात प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए अमेज़न के साथ हस्ताक्षर किए हैं। लॉजिस्टिक्स फर्म शिपरॉकेट ने भी 16 जिलों में क्षमता निर्माण कार्यक्रम स्थापित करने के लिए डीजीएफटी के साथ करार किया है। ये साझेदारियां भारतीय एमएसएमई को निर्यात के लिए तैयार बनाने के लिए क्षमता निर्माण और कार्यशालाओं पर ध्यान केंद्रित करती हैं।

शेखर

वार्ता

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