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चुनाव कार्य में स्वंयसेवी संस्थाओं का उपयोग नहीं करने का निर्देश भारत निर्वाचन आयोग का

रांची,05 नवंबर (वार्ता) झारखंड के
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार ने कहा है कि मतदाता पर्ची, मतदाता पहचान पत्र नहीं है।
श्री कुमार ने मंगलवार को निर्वाचन सदन, धुर्वा में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पूर्व में ऐसा देखने को मिला है कि मतदाता पर्ची को पहचान पत्र समझ कर मतदान करने पहुंच जाते हैं और अनावश्यक रूप से परेशान होते हैं। मतदाता पहचान पत्र के अलावा कुल 12 तरह के आइडी प्रूफ मतदान के लिए भारत निर्वाचन आयोग द्वारा स्वीकृत है। उसके अतिरिक्त किसी भी तरह के अन्य पहचान पत्र मतदान के लिए वैध नहीं होते हैं। उन्होंने कहा कि प्रथम चरण के चुनाव के लिए मतदाता पर्ची वितरण 8 नवंबर तक चलेगा। इस दौरान बीएलओ घर-घर जाकर मतदाता पर्ची का वितरण कार्य करेंगे। इस बार मतदाता पर्ची में अंकित सीरियल नंबर और पार्ट नंबर को घेरे में दर्शाया गया है, ताकि मतदाता उन दोनों नंबरों को नोट कर मतदान केंद्र पर जाएं और आसानी से अत्यल्प समय में अपना नाम खोज सकें और मतदान के लिए सही कतार में खड़ा हो सकें। इससे जहां समय की बचत होगी, वहीं मतदान की गति भी बढ़ेगी।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जेएसएलपीएस के कर्मियों को चुनाव कार्य से अलग रखने के लिए कोई निर्देश निर्वाचन आयोग की ओर से नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में चुनाव के दौरान शिकायत मिलने के बाद से भारत निर्वाचन आयोग का स्वंयसेवी संस्थाओं, स्वंय सहायता ग्रुप, एनजीओ आदि को चुनाव कार्य से अलग रखने का स्टैंडिंग आर्डर है, जिसके आलोक में सभी जिला निर्वाचन पदाधिकारियों को निर्देशित किया गया है।
श्री कुमार ने बताया कि राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद से अब तक 151.56 करोड़ की अवैध सामग्री और नकदी जब्त की जा चुकी है। विधानसभा चुनाव को निष्पक्ष, स्वतंत्र और भयरहित बनाने के लिए एजेंसियों के द्वारा सतत निगरानी की जा रही है। उसी का परिणाम है कि लोकसभा चुनाव से अधिक की जब्ती अब तक हो चुकी है।
विनय
वार्ता
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