राज्य » बिहार / झारखण्डPosted at: Nov 14 2024 6:07PM बिहार के आरा में 15 नवंबर से होगा तीन दिवसीय माता शबरी क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजनआरा, 14 नवंबर (वार्ता ) बिहार के भोजपुर जिले के आरा के वीर कुंवर सिंह स्टेडियम में आगामी 15 नवंबर से माता शबरी क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया जा रहा है। माता शबरी क्रिकेट टूर्नामेंट में महादलित परिवार के बच्चे अपना जलवा बिखेरेंगे। इसका उद्देश्य खेल के माध्यम से महादलित परिवार के युवाओं के बीच शिक्षा का प्रचार प्रसार करना है। 'नई आशा' के बैनर तले आयोजित तीन दिवसीय टूर्नामेंट का उद्घाटन शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ करेंगे। मुख्य अतिथि सचिव स्वास्थ्य एवं वाणिज्यकर विभाग संजय कुमार सिंह होंगे। जिलाधिकारी तनय सुलतानिया एवं डीडीसी आदि विशिष्ट अतिथि होंगे।दूसरे दिन महादलित वर्ग के खिलाड़ियों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने को लेकर वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा के कुलपति प्रो शैलेन्द्र कुमार चतुर्वेदी स्टेडियम पहुंचेंगे। इस दौरान प्रतिभागियों को शिक्षा के प्रति जागरूकता के लिये शपथ दिलाई जाएगी। तीसरे एवं अंतिम दिन अपर मुख्य सचिव राजस्व एवं ग्रामीण कार्य विभाग दीपक कुमार सिंह बच्चों का उत्साहवर्द्धन व पुरस्कृत करेंगे। भोजपुर बिहार का पहला जिला है जहां महादलित समुदाय के बच्चों के लिए अलग से क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया जाता है। गत दो दशक से दबे कुचले अभिवंचित मुसहर जाति के बच्चों को मुख्यधारा की सामाजिक व्यवस्था के साथ जोड़ने के लिए नई आशा' के संरक्षक ने सेतु का काम किया है । महादलित समुदाय के लिए किए गए उनके अथक प्रयास की सराहना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने 'मन की बात' कार्यक्रम के 110वें एपिसोड में कर चुके हैं। मुसहर समाज के उन्नयन की पटकथा लेखन की शुरुआत वर्ष 2003 में आरा के जवाहर टोला स्थित मुसहर टोला से शुरू हुई। धीरे-धीरे आरा के अन्य 9 मुसहर टोलियों में 'नई आशा' पहुंची। बाद में बिस्तार भोजपुर, बक्सर, रोहतास एवं अरवल जिला आदि के अन्य मुसहरी में हुआ। बच्चों का विद्यालयों में नामांकन फिर जनसहयोग से ड्रेस मुहैया कराया गया। 2008 तक डा भवेश की पहल पर चार हजार बच्चों का नामांकन कराया गया, जिसकी गूंज बिहार विधान परिषद में 2008 में एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से विधान पार्षद नागेंद्र प्रसाद सिंह ने उठाया। तत्कालीन मुसहर बच्चों का नामांकन चर्चा का विषय रहा। इसी से प्राभावीत होकर सरकार ने मुसहर जाति के बच्चों को वस्त्र के लिए 500 रूपये अलग से देने का प्रावधान किया। 'नई आशा' अब तक 118 स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से साढ़े सत्रह हजार से अधिक मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण कराया। इस दौरान तीन दर्जन से अधिक कुष्ठ एवं टीबी मरीजों की पहचान हुई, जिनका संस्था ने इलाज कराया। ग्रामीण बच्चों में शिक्षा के प्रति लगाव एवं जागरूक पैदा करने के उद्देश्य से आरा के लक्षणपुर में एक सार्वजनिक पुस्तकालय की स्थापना डा. भवेश द्वारा कराई गई। पुस्तकालय का अपना भवन 2017 में बन कर तैयार हुआ। पुस्तकालय के माध्यम से सरकारी एवं अल्पसंख्यक विद्यालय के आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों का 2019 से नेशनल मींस कम मेरिट स्कॉलरशिप (एनएमएमएस) की तैयारी शुरू कराई गई, अब तक 132 विद्यार्थी इस प्रतियोगिता में सफल हुए, जिन्हें 4 वर्ष नवम् से 12वीं तक प्रतिवर्ष बारह बारह हजार प्रति विद्यार्थी प्राप्त होता है। जो विद्यार्थियों की शिक्षा में मददगार साबित होता है। डॉ भवेश अब तक जिले के करीब 3200 लोगों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन दिलवाने में सफल रहे हैं। 87 अनाथ बच्चों को परवरिश योजना का लाभ दिलवाया। इसमें अनाथ बच्चे -बच्चियों के पालकों को प्रतिमाह1000 रूपये सरकार द्वारा दिया जाता है। खेल के माध्यम से महादलित युवाओं को शिक्षा के साथ जुड़ने को लेकर माता शबरी क्रिकेट टूर्नामेंट शुरू की गई। उन्होंने मुसहरों की आर्थिक व सामाजिक पहलूओं को अपनी चौथी पुस्तक "हाशिए पर हसरत" में उकेरा जिसका लोकार्पण राजसभा के उपसभापति डा हरिवंश ने किया। 'नई आशा' के संरक्षक डा भीम सिंह भवेश ने बताया कि मुसहर जाति को मुख्य धारा से जोड़ने का कारवां आगे भी चलता रहेगा ।सं. प्रेम सूरज वार्ता