राज्य » गुजरात / महाराष्ट्रPosted at: Oct 25 2024 12:17PM गीतकारों के लिये रॉयलटी की व्यवस्था करायी साहिर लुधियानवी नेपुण्यतिथि 25 अक्टूबर के अवसर परमुंबई, 25 अक्टूबर (वार्ता) साहिर लुधियानवी हिन्दी फिल्मों के ऐसे पहले गीतकार थे जिनका नाम रेडियो से प्रसारित फरमाइशी गानों में दिया गया। साहिर से पहले किसी गीतकार को रेडियो से प्रसारित फरमाइशी गानों में श्रेय नहीं दिया जाता था।इसके अलावा वह पहले गीतकार हुये जिन्होंने गीतकारों के लिये रॉयलटी की व्यवस्था करायी। आठ मार्च 1921 को पंजाब के लुधियाना शहर में एक जमींदार परिवार में जन्में साहिर की भजदगी काफी संघर्षों में बीती है। साहिर ने अपनी मैट्रिक तक की पढ़ाई लुधियाना के खालसा स्कूल से पूरी की। इसके बाद वह लाहौर चले गये जहां उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई सरकारी कॉलेज से पूरी की।कॉलेज के कार्यक्रमों में वह अपनी गजलें और नज्में पढ़कर सुनाया करते थे जिससे उन्हें काफी शोहरत मिली। जानी-मानी पंजाबी लेखिका अमृता प्रीतम कॉलेज में साहिर के साथ ही पढ़ती थीं जो उनकी गजलों और नज्मों की मुरीद हो गयीं और उनसे प्यार करने लगीं लेकिन कुछ समय के बाद ही साहिर कॉलेज से निष्कासित कर दिये गये। इसका कारण यह माना जाता है कि अमृता प्रीतम के पिता को साहिर और अमृता के रिश्ते पर ऐतराज था क्योंकि साहिर मुस्लिम थे और अमृता सिख थीं। इसकी एक वजह यह भी थी कि उन दिनों साहिर की माली हालत भी ठीक नहीं थी।साहिर 1943 में कॉलेज से निष्कासित किये जाने के बाद लाहौर चले आये जहां उन्होंने अपनी पहली उर्दू पत्रिका ‘तल्खियां’ लिखीं। लगभग दो वर्ष के अथक प्रयास के बाद आखिरकार उनकी मेहनत रंग लायी और ‘तल्खियां’ का प्रकाशन हुआ। इस बीच साहिर ने प्रोग्रेसिव रायटर्स एसोसियेशन से जुड़कर आदाबे लतीफ, शाहकार, और सवेरा जैसी कई लोकप्रिय उर्दू पत्रिकाएं निकालीं लेकिन सवेरा में उनके क्रांतिकारी विचार को देखकर पाकिस्तान सरकार ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया।प्रेमजारी वार्ता