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सीएसयू ने अन्तरराष्ट्रीय संस्कृत ओल्मपियाड का परिणाम किया घोषित

नयी दिल्ली 05 नवंबर (वार्ता) केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी के मार्गदर्शन में द्वितीय संस्कृत ओल्मपियाड के परिणाम की घोषणा की गयी। इसमें कुल 1988 महाविद्यालयों तथा 34 राज्यों ने भाग लिया। छात्र छात्राओं की उपस्थिति की दृष्टि से हिमाचल, राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश क्रमशः पहले , दूसरे तथा तीसरे स्थान पर रहे।
इस ओल्मपियाड के संयोजक डा सूर्य प्रसाद ने बताया कि इसमें भारत के अतिरिक्त टेक्सास, कौलफोर्निया तथा इंग्लैंड आदि सात देशों के 60 प्रतिभागियों ने भी भाग लिया। इस अवसर पर अतिथियों को सम्मानित करते कुल सचिव प्रो इर. जी. मुरली कृष्ण ने कहा कि इस तरह के संस्कृत ओल्मपियाड में प्रतिभागियों की सक्रिय उपस्थिति संस्कृत के विश्वोन्मुखी परिदृश्य को स्पष्ट करता है ।
सीएसयू के द्वारा आयोजित की जाने वाली प्रतियोगिता के अध्यक्ष तथा डीन, आकादमी प्रो मदन मोहन झा ने अतिथियों का स्वागत करते अपने उद्बोधन में कहा कि इस तरह का अन्तरराष्ट्रीय आयोजन की सफलता का मूल कारण माननीय कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी जी के दूरगामी दृष्टि का ही परिणाम है। इस कारण से भी संस्कृत और संस्कृति समग्र दुनिया की ओर जा रही है ।
लिटिल गुरु, जयपुर के सीईओ व संस्थापक डा अनुज शर्मा ने कहा कि जब इसका पहला आयोजन किया गया था, तो इसकी आशा नहीं थी कि इसके दूसरे चरण में ही इसके प्रतिभागियों की संख्या दुगुनी हो जाएगी।
डा शर्मा का मानना था कि वस्तुत:, सीएसयू कुलपति प्रो वरखेड़ी जी के मार्गदर्शन में यह अनूठा कार्य कर रहा है।
गौरतलब है कि आज के इस कार्यक्रम में ही सीएसयू के साथ एचसीएल कंपनी तथा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, दिल्ली के साथ दो आकादमिक समझौते ((ऐम.ओ.यू.) पर भी हस्ताक्षर हुए । इनमें क्रमशः पहले में डाटा एनालिटिक्स तथा आर्टीफिशियल इंटेलेंजेसी (ए आई) के क्षेत्र में सीएसयू के छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षित करने तथा सीएसयू से एचसीएल स्टाफ को संस्कृत सीखने की भी योजना है। दूसरे में यूनेस्को वल्ड मेमोरी प्रोग्राम के अन्तर्गत अन्तर्राष्ट्रीय संयुक्त पहल से वाल्मीकि रामायण तथा पाणिनि अष्टाध्यायी को विश्व धरोहर के रूप में स्थापित करने के प्रयासों को लेकर किया गया है।
इसके अतिरिक्त आईआईटी, मुम्बई से हुए पूर्व आकादमिक समझौते को लेकर जेसी वेलुसामी , प्रशिक्षण प्रबन्धक ने सभी को स्पोकेन ट्येटोरियल का परिचय देते इसके महत्त्व को बताते कहा कि यह प्रोजेक्ट गुगल द्वारा पुरस्कृत है जिसमें 86 लाख लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुक है । इसका शैक्षणिक पदोन्नति में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका है ।
सूचनीय है कि कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी ने अपने विश्वविद्यालय के सभी परिसरों /शिक्षण संस्थानों के लिए प्रशिक्षण हेतु इच्छुक छात्र छात्राओं देय शुल्क राशि विश्वविद्यालय की ओर से परिपूरित करवाया है , ताकि संस्कृत के छात्र-छात्राओं संगणक के ज्ञान को और बढा सकें।
उल्लेखनीय है कि इस अन्तरराष्ट्रीय संस्कृत ओल्मपियाड का समग्र परीक्षा परिणाम केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय दिल्ली के बेवसाइट पर भी देखा जा सकता है।
संजय
वार्ता
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