राज्य » मध्य प्रदेश / छत्तीसगढ़Posted at: Oct 16 2024 9:50PM ओरछा को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के लिए तैयार डोजियर को यूनेस्को ने स्वीकाराभोपाल, 16 अक्टूबर (वार्ता) यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में ओरछा के ऐतिहासिक समूह को नामांकित कराने के लिये मप्र टूरिज्म बोर्ड द्वारा तैयार कराये गए डोजियर (संकलित दस्तावेज) को केंद्र सरकार ने यूनेस्को की विश्व धरोहर कमेटी को सौंप दिया है।आधिकारिक जानकारी के अनुसार वर्ष 2027-28 के लिये केंद्र द्वारा ओरछा के ऐतिहासिक समूह को विश्व धरोहर स्थल घोषित करने हेतु अनुशंसा की है। पेरिस स्थित यूनेस्को कार्यालय में भारतीय राजदूत विशाल वी शर्मा ने यूनेस्को विश्व विरासत केंद्र के निदेशक लाज़ारे एलौंडौ असोमो को ओरछा का डोजियर सौंपा है। यूनेस्को की आधिकारिक घोषणा के बाद ओरछा देश की ऐसी एकमात्र विश्व धरोहर स्थली होगी, जो राज्य संरक्षित है।प्रमुख सचिव पर्य़टन एवं संस्कृति और प्रबंध संचालक म.प्र. टूरिज्म बोर्ड शिव शेखर शुक्ला ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के मार्गदर्शन में प्रदेश की ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने और पर्यटकों के लिए विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराने के सतत प्रयास किये जा रहे है। प्रमुख सचिव श्री शुक्ला ने यूनेस्को द्वारा डोजियर को स्वीकार किए जाने पर हर्ष जताते हुए कहा कि, यह प्रदेश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए एक गौरवपूर्ण उपलब्धि है। ओरछा अपनी अद्वितीय स्थापत्य शैली और समृद्ध ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। विश्व धरोहर सूची में नामांकित होने से ओरछा की ऐतिहासिक धरोहरों की वैश्विक पहचान को और मजबूती मिलेगी। साथ ही ओरछा अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण केंद्र बनेगा। प्रतिवर्ष केंद्र सरकार देश की एक धरोहर को यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में नामांकित कराने के लिए यूनेस्को (यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल, साइंटिफिक एंड कल्चरल आर्गेनाइजेशन) को अनुशंसा करती हैं। यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में प्रदेश के 14 स्थल शामिल है। खजुराहों के मंदिर समूह, भीमबेटका की गुफाएं एवं सांची स्तूप यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल स्थायी सूची में शामिल है। यूनेस्को की टेंटेटिव सूची में ग्वालियर किला, बुरहानपुर का खूनी भंडारा, चंबल घाटी के शैल कला स्थल, भोजपुर का भोजेश्वर महादेव मंदिर, मंडला स्थित रामनगर के गोंड स्मारक, धमनार का ऐतिहासिक समूह, मांडू में स्मारकों का समूह, ओरछा का ऐतिहासिक समूह, नर्मदा घाटी में भेड़ाघाट-लमेटाघाट, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और चंदेरी शामिल है।मप्र टूरिज्म बोर्ड द्वारा ओरछा और भेड़ाघाट को यूनेस्को की टेंटेटिव सूची में शामिल कराने के लिए क्रमशः वर्ष 2019 एवं 2021 में प्रस्ताव तैयार कराया गया था। जिसको भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ए.एस.आई.) द्वारा योग्य मानते हुए यूनेस्को के विश्व धरोहर अनुभाग को अग्रेषित किया और फिर टेंटेटिव लिस्ट में सम्मिलित करने की घोषणा की गई थी। घोषणा के बाद टूरिज्म बोर्ड द्वारा विशेषज्ञ संस्थाओं के सहयोग से ओरछा, मांडू, भेड़ाघाट के डोजियर तैयार कर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को भेजा गया। संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार ने प्रारंभिक निरीक्षण कर ओरछा का डोजियर अनुशंसा कर यूनेस्को के विश्व धरोहर अनुभाग को सौंपा गया।भारतीय राजदूत विशाल वी शर्मा ने यूनेस्को विश्व विरासत केंद्र के निदेशक लाज़ारे एलौंडौ असोमो को डोजियर सौंपते हुए कहा कि, विश्व धरोहर समिति की वर्ष 2027-2028 की बैठक में विचार के लिये मध्यप्रदेश में ओरछा के ऐतिहासिक समूह के नामांकन डोजियर प्रस्तुत करना बहुत सम्मान की बात है। उन्होंने सांस्कृतिक मंत्रालय, भारत सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, मध्यप्रदेश राज्य सरकार और उनके अधिकारियों को उनके उत्कृष्ट समन्वय और इस नामांकन डोजियर को समय पर प्रस्तुतिकरण के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि ओरछा का ऐतिहासिक समूह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक ओर स्थापत्य विरासत को प्रदर्शित करता है। ओरछा के नामांकन डोजियर को प्रस्तुत करके हम मानवता की साझा विरासत में योगदान करने और इसके अद्वितीय सांस्कृतिक महत्व की वैश्विक मान्यता को बढ़ावा देने की आशा करते है। उन्होंने यूनेस्को की सराहना करते हुए विश्व धरोहर समिति से ओरछा के डोजियर पर सकारात्मक विचार करने की आशा की है।बघेलवार्ता