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‘स्पेशल काउंसिल मामले में मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव का नाम हटाने के निर्देश’

नैनीताल, 18 अक्टूबर (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कथित रूप से नियमों को ताक पर रखकर सरकारी मामले की पैरवी के लिये स्पेशल काउंसिल नियुक्त करने और लाखों खर्च रुपये भुगतान करने को दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को निर्देश दिये कि वह इस मामले से मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव का नाम हटाये।
इस मामले की सुनवाई गुुरुवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की युगलपीठ में हुई। आदेश की प्रति शुक्रवार को मिल पाई।
मामले के अनुसार याचिकाकर्ता भुवन पोखरिया की ओर से जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया गया कि सरकारी मामले की सुनवाई के लिये बिना अनुमति के स्पेशल काउंसिल नियुक्त किया गया और लाखों रूपये का भुगतान भी कर दिया गया।
इसके लिये न तो मुख्य सचिव और न ही न्याय विभाग से अनुमति ली गयी। आगे कहा गया कि अदालत द्वारा पारित आदेश में विशेष काउंसिल का नाम भी पैरोकार के रूप में अंकित नहीं है।
याचिकाकर्ता की ओर से इस मामले में मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के अलावा अन्य लोगों को पक्षकार बनाया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत से मामले की जांच की मांग की गयी।
महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर की ओर से मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को प्रतिवादी बनाये जाने का विरोध किया गया। अदालत ने भी इसे गंभीरता से लिया और याचिकाकर्ता को निर्देश दिये कि वह इस मामले से दोनों का नाम हटाये। इसके साथ ही अदालत ने इस मामले में सुनवाई के लिये 26 दिसंबर की तिथि तय कर दी।
रवीन्द्र.संजय
वार्ता
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