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जीएसआई ने राष्ट्रीय उल्कापिंड भंडार किया शुरू

कोलकाता, 29 अक्टूबर (वार्ता) भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के महानिदेशक असित साहा ने सोमवार को अत्याधुनिक राष्ट्रीय उल्कापिंड भंडार का अनावरण किया।
श्री साहा ने मंगलवार को ग्रह विज्ञान और अंतरिक्ष अन्वेषण के बारे में लोगों की समझ को बढ़ाने में संग्रह की भूमिका पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि यहां रखे गए दुनिया भर के सैकड़ों उल्कापिंडों के संग्रह से सौर मंडल के प्रारंभिक निर्माण और पृथ्वी के भूवैज्ञानिक इतिहास के बारे में अमूल्य डेटा मिलता है।
एडीजी डॉ. जॉयश बागची के अनुसार, नया राष्ट्रीय उल्कापिंड भंडार ग्रह विज्ञान को आगे बढ़ाने और इन अमूल्य खगोलीय कलाकृतियों को संरक्षित करने के लिए जीएसआई की प्रतिबद्धता का प्रमाण है, जो ब्रह्मांड के बारे में हमारी समझ को गहरा करते हैं।
राष्ट्रीय उल्कापिंड भंडार में दुनिया भर के 643 उल्कापिंडों का एक दुर्लभ और विविध संग्रह है, जिसे मिशन-IV, कोलकाता के तहत उल्कापिंड और ग्रह विज्ञान प्रभाग (एमपीएसडी) के भीतर संग्रहित किया गया है।
इस संग्रह में, 119 नमूने भारत भर में उल्कापिंड गिरने और पाए जाने वाले उल्कापिंडों से हैं। संग्रह में सबसे पुराना उल्कापिंड एनसिसहेम है, जो एक साधारण चोंड्राइट है जो सात नवंबर, 1492 को फ्रांस के अलसैस में गिरा था। सबसे पुराना भारतीय उल्कापिंड क्रखुट उल्कापिंड है, जो एक साधारण चोंड्राइट है जो 19 दिसंबर, 1798 को बनारस से 14 मील दूर गिरा था।
श्रद्धा,आशा
वार्ता
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