राज्य » पंजाब / हरियाणा / हिमाचलPosted at: Oct 14 2024 5:45PM भारत सरकार ने मिलर्स, आढ़तियों की प्रमुख मांगों को स्वीकार किया:मानचंडीगढ़, 14 अक्टूबर (वार्ता) पंजाब के मिल मालिकों और आढ़तियों को बड़ी राहत देते हुये सोमवार को केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रल्हाद जोशी के साथ बैठक के दौरान मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान द्वारा उठायी गयी अधिकतर मांगों को स्वीकार कर लिया गया।मुख्यमंत्री ने श्री जोशी से मुलाकात की और उन्हें बताया कि राज्य की अर्थव्यवस्था इस मौसम पर निर्भर करती है और यह देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि चालू खरीफ विपणन सीजन 24-25 के दौरान राज्य में 185 लाख टन धान की खरीद होने की उम्मीद है और 125 लाख टन फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति होने की संभावना है।मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले सीजन के दौरान भंडारण स्थान की लगातार कमी और आज की तारीख में केवल सात लाख टन भंडारण स्थान की उपलब्धता के कारण, मिलिंग करने के लिये राज्य के चावल मिल मालिकों में नाराजगी है। उन्होंने कहा कि इससे मंडियों से धान की खरीद / उठाने पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, जिससे किसानों में नाराजगी है। इसलिये, उन्होंने श्री जोशी से आग्रह किया कि वह ओएमएसएस/ इथेनॉल आवंटन/ निर्यात/ कल्याण योजनाओं और अन्य के तहत परिवहन योजना को बढ़ाकर 31 मार्च, 2025 तक राज्य से प्रति माह कम से कम 20 लाख टन खाद्यान्न की सुचारु खरीद संचालन, आवाजाही/ परिसमापन सुनिश्चित करें।श्री मान द्वारा उठाये गये मुद्दों का जवाब देते हुये श्री जोशी ने मार्च 2025 तक राज्य के बाहर से 120 लाख टन धान परिवहन करने पर सहमति व्यक्त की है।चावल की डिलीवरी के लिये मिलर्स को परिवहन शुल्क के भुगतान के मुद्दे को उठाते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि लिंक किये गये मिलिंग केंद्रों पर भंडारण स्थान की अनुपलब्धता के कारण, कई बार एफसीआई मिलर्स को अपने डिपो पर चावल देने के लिये जगह प्रदान करता है, जो कि ज़्यादातर मामलों में 50-100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। उन्होंने कहा कि कभी-कभी ऐसे डिपो राज्य के बाहर भी स्थित होते हैं, जिससे मिलर पर अधिक परिवहन लागत के रूप में अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस तरह की लागत न तो परिकल्पित है और न ही मिलर और एसपीए के बीच द्विपक्षीय समझौते में शामिल है।मुख्यमंत्री ने कहा कि एफ.सी.आई. डिपो तक चावल पहुंचाने की प्रक्रिया में होने वाले अतिरिक्त परिवहन खर्च की प्रतिपूर्ति के साथ मिलर्स को मुआवजा देने की उनकी मांग में दम है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री से अनुरोध किया कि मिलर्स के लिये निष्पक्ष व्यवहार सुनिश्चित करने और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिये चावल की डिलीवरी के वास्ते तय की गयी वास्तविक दूरी के लिये परिवहन खर्च की प्रतिपूर्ति मिलर्स को की जाये, जिसमें से पिछड़े शुल्क और अन्य कोई कटौती नहीं की जाये। इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री ने श्री मान को भरोसा दिलाया कि इस संबंध में मिलर्स द्वारा वहन की गयी परिवहन लागत केंद्र द्वारा वहन की जायेगी।धान में सूखेपन के मुद्दे को उठाते हुये श्री मान ने कहा कि धान में सूखेपन को दशकों से एम.एस.पी. के एक प्रतिशत की दर से अनुमति दी गयी थी, जिसे पिछले सीजन के दौरान डी.एफ.पी.डी. ने के.एम.एस. 23-24 के लिये जारी पी.सी.एस. में बिना किसी चर्चा/वैज्ञानिक अध्ययन के एकतरफा तरीके से एम.एस.पी. के 0.5 प्रतिशत तक घटा दिया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे चावल मिल मालिकों को अनावश्यक वित्तीय घाटा हुआ है, जो पहले से ही जगह की कमी के कारण वित्तीय तनाव में थे। उन्होंने कहा कि इससे उनमें नाराजगी और बढ़ गयी है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि चूंकि पिछला मिलिंग सीजन जगह की कमी के कारण 31 मार्च से आगे बढ़ गया था, इसलिये अप्रैल से 24 जुलाई तक गर्म मौसम की स्थिति के कारण धान के सूखने/ वजन में कमी/ रंग बदलने के कारण अधिक नुकसान हुआ। इसलिये, श्री मान ने आग्रह किया कि केएमएस 23-24 से पहले की तरह सूखे को एमएसपी के एक प्रतिशत पर बहाल किया जाये और 31 मार्च के बाद डिलीवरी के लिये मिल मालिकों को उचित मुआवजा दिया जा सकता है, जहां एफसीआई को दिये गये सीएमआर/एफआर में नमी की मात्रा 14 प्रतिशत से कम थी।जल निकास के मुद्दे पर केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार पहले ही आईआईटी खड़गपुर में इस पर अध्ययन करवा रही है तथा पंजाब के दृष्टिकोण को भी इस अध्ययन का हिस्सा बनाया जायेगा।मुख्यमंत्री ने धान की संकर किस्मों के उत्पादन अनुपात का मुद्दा उठाते हुये कहा कि ग्रेड ए धान के लिये उत्पादन अनुपात भारत सरकार द्वारा 67 प्रतिशत निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि ग्रेड ए धान की पारंपरिक किस्मों से जुड़ी महत्वपूर्ण जल खपत को देखते हुए, राज्य ने राज्य में कुछ संकर किस्मों की खेती को बढ़ावा दिया है। श्री मान ने केंद्रीय मंत्री को बताया कि ये किस्में कम पानी की खपत करती हैं और कम अवधि की होती हैं तथा अधिक उपज देती हैं, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होती है।मुख्यमंत्री ने कहा कि मिल मालिकों ने बताया है कि इन किस्मों की ओटीआर 67 प्रतिशत से कम है और इसका फिर से मूल्यांकन करने की आवश्यकता है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री से अनुरोध किया कि वे धान की इन किस्मों की ओटीआर का अध्ययन करने के लिये केंद्रीय टीमों को नियुक्त करें। इस बीच, केंद्रीय मंत्री ने धान की कम पानी की खपत वाली किस्मों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार को पूर्ण समर्थन और सहयोग का आश्वासन दिया।एक अन्य मुद्दा उठाते हुये मुख्यमंत्री ने पंजाब एपीएमसी एक्ट के अनुसार आढ़तियों को कमीशन दिये जाने की जोरदार वकालत की। श्री मान ने कहा कि आढ़तियों को दिया जा रहा कमीशन पिछले पांच सालों/2019-20 से नहीं बढ़ाया गया है, जबकि इन सालों में उनके खर्च कई गुना बढ़ गये हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा हर साल फसलों के एमएसपी में वृद्धि की जाती है, लेकिन आढ़तियों को 2019-20 से केवल 45.38 से 46 रुपये प्रति क्विंटल कमीशन दिया जा रहा है, जबकि पंजाब राज्य कृषि उत्पादन बाजार समिति अधिनियम, नियम, उपनियमों के अनुसार एमएसपी पर 2.5 प्रतिशत कमीशन का प्रावधान है, जो मौजूदा खरीफ सीजन में 58 रुपये प्रति क्विंटल बनता है। ठाकुर.श्रवण वार्ता