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भाजपा सरकार जानबूझ कर खाद की किल्लत पैदा कर रही: हुड्डा

चंडीगढ़, 05 नवंबर (वार्ता) हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मंगलवार को आरोप लगाया कि हरियाणा की भाजपा सरकार जानबूझकर खाद की किल्लत पैदा कर रही है।
श्री हुड्डा ने यहां जारी बयान में कहा कि हर वर्ष अक्टूबर-नवंबर में किसानों को लगभग 2.8 लाख टन डीएपी की जरूरत होती है, लेकिन इस बार अब तक किसानों को सिर्फ 1.20 लाख टन डीएपी खाद ही मिल पायी है। सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि वह जानबूझकर खाद की किल्लत पैदा कर रही है। नैनो डीएपी की बिक्री बढ़ाने के लिये परंपरागत डीएपी की किल्लत खड़ी की जा रही है।
श्री हुड्डा ने कहा कि जब से भाजपा सत्ता में आई है, उसने किसानों को खाद और मंडी की कतारों में खड़ा कर रखा है। हर फसली सीजन में खाद्य केंद्रों पर किसानों को लंबी-लंबी कतारों में कई-कई घंटे, कई-कई दिन इंतजार करना पड़ता है, लेकिन उन्हें खाद नहीं मिल पाती। पिछले 10 साल से किसानों के साथ यही गैर जिम्मेदाराना रवैया रहा है ।
उन्होंने आरोप लगया कि सरकार द्वारा लगातार झूठे दावे किये जा रहे हैं। सरकार का कहना है कि खाद की कोई कमी नहीं है, उसके पास उचित मात्रा में खाद है, जबकि किसान एक-एक बैग खाद के लिये तरस रहे हैं। भारी भीड़ और लंबी कतारों में फंसे किसान धक्का-मुक्की, हाथापाई और पुलिसिया लाठीचार्ज के शिकार हो रहे हैं। सरकार को बताना चाहिये कि अगर उसके पास उचित मात्रा में खाद है तो वह किसानों को क्यों नहीं मिल पा रहा?
उन्होंने कहा कि सरकार की इस अनदेखी के चलते अब किसानों का सब्र जवाब देने लगा
है। मजबूरन उन्हें सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करना पड़ रहा है। भाजपा के पास अपनी जिम्मेदारी से बचने का कोई बहाना नहीं है, क्योंकि यह भाजपा सरकार का लगातार तीसरा कार्यकाल है। उन्होंने कहा कि नयी सरकार को भी अपने हनीमून पीरियड से बाहर निकाल कर किसानों की समस्याओं की तरफ ध्यान देना चाहिये।
कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा को अब अपने चुनावी वादों पर जवाब देना होगा और बताना होगा वादे के मुताबिक बीजेपी किसानों को धान का 3100 रुपये क्यों नहीं दे पाई? आखिर किसानों को न्यूनता समर्थन मूल्य से कम दरों पर अपनी फसल क्यों बेचनी पड़ी? इतने साल से सत्ता में होते हुये भी भाजपा खाद वितरण की प्रक्रिया को सुचारु क्यों नहीं कर पाई? क्यों हर बार किसानों को जरूरत के वक्त खाद के लिए तरसाया जाता है? सरकार की नीतियों के चलते हर बार किसानों को हो रहे घाटे की भरपाई कौन करेगा?
महेश.श्रवण
वार्ता
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