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हरियाणा को केंद्र शासित प्रदेश में भूमि आवंटन असंवैधानिक: चीमा

चंडीगढ़ 14 नवंबर (वार्ता) शिरोमणि अकाली दल ने गुरुवार को कहा कि केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में हरियाणा को विधानसभा का निर्माण करने के लिये जमीन आवंटित करने का कोई भी निर्णय अंसवैधानिक होगा, क्योंकि यह अनुच्छेद 3 का उल्लंघन होगा, जिसके तहत केवल संसद ही राज्य की सीमाओं को बदल सकती है।
अकाली दल के वरिष्ठ नेता डाॅ. दलजीत सिंह चीमा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस फैसले को रद्द करने का आग्रह किया और कहा कि यह पंजाब पुनर्गठन एक्ट,1966 का उल्लंघन है। उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश में नयी विधानसभा के लिये हरियाणा को जमीन आवंटित करने के कदम को चंडीगढ़ पर पंजाब के अधिकार को खत्म करने की साजिश करार देते हुये कहा, “ यह स्पष्ट है कि हरियाणा सरकार पंजाब के खिलाफ केंद्र के साथ मिलीभगत कर रही है। ”
डाॅ चीमा ने पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार पर हरियाणा और केंद्र सरकार के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया। उन्होेंने कहा कि जब श्री शाह ने नार्थ जोन काउसिंल मीटिंग में यह घोषणा की तो आम आदमी पार्टी ने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई। उन्होंने कहा कि इसके बजाय उसी आधार पर पंजाब के लिये भी जमीन मांगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को ऐसा कोई अनुरोध करने से पहले समझना चाहिये था कि चंडीगढ़ पर पंजाब का ही मालिकाना हक है।
वरिष्ठ अकाली नेता ने यह स्पष्ट किया कि अकाली दल इस कदम को हरगिज सफल नहीं होने देगा। उन्होंने कहा कि हम कानूनी सलाह लेंगे और जल्द ही अगली कार्रवाई की रूपरेखा भी तैयार करेंगें। उन्होंने हरियाणा सरकार से अपनी नयी विधानसभा अपने क्षेत्र में बनाने के लिये कहा, “ यूटी में विधानसभा भवन के लिये जो जमीन निर्धारित की गयी है, वह हरियाणा के क्षेत्र से दो से तीन किलोमीटर दूर है। हरियाणा सरकार को अपना विधानसभा भवन अपने क्षेत्र में बनाना चाहिये। ”
अकाली नेता ने कहा कि हिंदी भाषाई क्षेत्रों की पहचान करने के लिये 1955 के बजाय 1961 की जनगणना के आंकड़ों को आधार बनाकर पंजाब के साथ जनसांख्यिकीय धोखाधड़ी की गयी है, जिसके कारण पुनर्गठन के बाद राज्य का आकार छोटा हो गया, अब केंद्र शासित प्रदेश में हरियाणा को जमीन देने के लिये जमीन की धोखाधड़ी की जा रही है। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन को दी जा रही 10 एकड़ जमीन सुखना जलग्रहण क्षेत्र में है, और इसका विकास नहीं किया जा सकता।
अकाली नेता ने अपने तर्क को पुष्ट करने के लिये विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुये संरक्षित क्षेत्र के आसपास की संवेदनशील क्षेत्रों की चर्चा करते हुये कहा कि कमेटी ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि इस तरह के संवेदनशील क्षेत्रों में किसी भी प्रकार की जोनिंग की अनुमति नहीं दी जा सकती। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हरियाणा में केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन को दिये गये निर्माण स्थल के विकास की सुविधा के लिये कोई मंजूरी नही दी गयी, क्योंकि यह स्पष्ट किया गया था कि उच्च न्यायालय और राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के आदेशों के अधीन ही ऐसा किया जा सकता है।
ठाकुर.श्रवण
वार्ता
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