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‘शाहबाद की सुरम्य घाटियों का वैभव बचाने के लिये सरकार उठाए कदम’

बारां, 16 दिसंबर (वार्ता) राजस्थान में बारां जिले के शाहबाद के जंगल, वन उपज, वन जीवों के आवास, शुद्ध पर्यावरण, खुली हवा के साथ साथ हाड़ौती संभाग के फेफड़े भी हैं, इनको उजाड़ना राइजिंग राजस्थान की भावनाओं के विपरीत है।
यह विचार शाहबाद घाटी संरक्षण समिति बारां के संरक्षक और चम्बल संसद के संयोजक बृजेश विजयवर्गीय ने अपने सहयोगियों के साथ ग्रीनको एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा शाहबाद के जंगल में लगने वाले हाइड्रो ऊर्जा संयंत्र के क्षेत्र का अवलोकन करने के अवसर पर व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि 15 मार्च 2024 को 407.8277 हेक्टेयर वनभूमि के प्रत्यावर्तन की मंजूरी देकर इसके बदले में जैसलमेर में 431.3752 हेक्टेयर गैर वन भूमि उपलब्ध कराने पर जिलेवासियों और हाड़ौती अंचल के वाशिंदों को कोई फायदा नहीं होगा। इसके बदले में समूचे संभाग का पर्यावरण, जैव विविधता और कृषि उपज प्रभावित होगी।
उन्होंने राज्य सरकार और केंद्र सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग करते हुए शाहबाद की सुरम्य और सघन घाटियों का वैभव बचाने के लिये सभी लोगों को इस अभियान में सहयोग करने की आवश्यकता जताई। श्री विजयवर्गीय के साथ चंबल संसद के संरक्षक यज्ञदत्त हाडा, बूंदी संयोजक विट्ठल सनाड्य, युधिष्ठिर चानसी, तेजराज सिंह, दुर्गालाल कुशवाहा, कल्याणमल, मोहित मेघवाल ने भी घटना स्थल का अवलोकन करके ग्रामीणों से मुलाकात करके उन्हें जानकारियां उपलब्ध कराईं।
सं.सुनील.संजय
वार्ता
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