नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर (वार्ता) विशेष रूप से खाद्य कीमतों में तेजी के चलते देश में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर 2024 में उछल कर 5.49 प्रतिशत पर पहुंच गयी।
यह खुदरा मुद्रास्फीति का नौ माह का उच्चतम स्तर है और और इससे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की नीतिगत ब्याज दर में निकट भविष्य में कटौती की उम्मीद धूमिल हो सकती है।
अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति 3.65 प्रतिशत थी। आरबीआई खुदरा मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत या उससे हद से हद दो प्रतिशत ऊपर-नीचे की सीमा में बनाए रखना चाहता है।
सितंबर में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए खुदरा मुद्रास्फीति क्रमशः 5.87 प्रतिशत और 5.05 प्रतिशत रही। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार सितंबर, 2024 में मुद्रास्फीति दर में उछाल मौसम की स्थिति के कारण विशेष रूप से सब्जियों और अन्य खाद्य वस्तुओं की कीमतों के ऊंचा बने रहने के साथ साथ तुलनात्मक आधार के प्रभाव के कारण भी है।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल सितंबर में खाद्य मुद्रास्फीति पिछले महीने के 5.66 प्रतिशत से बढ़कर 9.24 प्रतिशत हो गई।
आरबीआई की नवगठित मौद्रिक नीति समिति ने पिछले सप्ताह नीतिगत रेपो दर को लगातार नौवीं बार 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया, जबकि कुछ तिमाहियों में दर में कटौती की चर्चा तेज हो गई थी।
मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए, आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि सितंबर महीने के लिए खुदरा मुद्रास्फीति में प्रतिकूल तुलनात्मक आधार और खाद्य वस्तुओं के मूल्यों में तेजी के कारण बड़ा उछाल देखा जा सकता है। आरबीआई का कहना कि 2023-24 में प्याज, आलू और चना दाल (ग्राम) के उत्पादन में कमी का बाजार पर प्रभाव अभी बना हुआ है।
जुलाई और अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति में काफी नरमी दिखी थी, जो मुख्य रूप से तुलनात्मक प्रभाव के कारण थी। इन दो महीनों के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति में कुछ हद तक सुधार हुआ।
आरबीआई ने 2024-25 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। पिछली समीक्षा रिपोर्ट के अनुसार खुदरा मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर अवधि) 4.1 प्रतिशत, तीसरी तिमाही 4.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही 4.2 प्रतिशत रहेगी।
इस बार सितंबर में दालों और उत्पादों, मसालों, मांस और मछली तथा चीनी और कन्फेक्शनरी उपसमूह में मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई।
मिलवुड केन इंटरनेशनल के संस्थापक और सीईओ निश भट्ट ने कहा, “सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति का आंकड़ा अधिकांश अनुमानों से अधिक है। इसका जिसका मुख्य कारण खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति का 9.24 प्रतिशत तक ऊंचा जाना होना है। अनियमित मानसून से देश के कई हिस्सों में फसलों को नुकसान पहुंचा है।”
उन्होंने कहा कि विनिर्मित वस्तुओं वाली (मुख्य) मुद्रास्फीति भी सितंबर में 3.5 प्रतिशत पर उम्मीदों से अधिक है। अगस्त में यह 3.25 प्रतिशत थी। श्री भट्ट की राय में सितंबर की मुद्रास्फीति के आंकड़ों का नीतिगत ब्याज संबंधी मौद्रिक नीति समिति के निकट भविष्य के निर्णयों पर कुछ असर जरूरत पड़ेगा।
श्री भट्ट का अनुमान है कि अक्टूबर में भी यही स्थित जारी रहने की संभावना है, क्योंकि देश के अधिकांश हिस्सों में मानसून की वापसी में देरी हो रही है।
नाइट फ्रैंक इंडिया के निदेशक (अनुसंधान) विवेक राठी ने कहा, “मुद्रास्फीति की वर्तमान स्थिति को देखते हुए, यह संभावना नहीं लगती है कि आरबीआई अपनी प्रमुख नीति दर में कमी का कोई निर्णय जल्दबाजी में करेगा।”
केयरएज रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा, “हमारा अनुमान है कि 2024-25 में मुद्रास्फीति औसतन 4.8 प्रतिशत रहेगी और आरबीआई की दिसंबर की द्विमासिक नीतिगत समीक्षा में नीतिगत ब्याज दर में चौथाई प्रतिशत अंक की हल्की कटौती की जा सकती है। मौद्रिक नीति समिति उसके बाद फरवरी की नीति में नीतिगत ब्याज दर में और प्रतिशत 0.25 अंक की कटौती कर सकती है, बशर्ते खाद्य मुद्रास्फीति में तब तक नरमी आ गयी हो।”
मनोहर, उप्रेती
वार्ता