नयी दिल्ली 26 दिसंबर (वार्ता) साहित्य अकादमी ने प्रख्यात मलयालम लेखक, विद्वान, निर्देशक और अकादमी के महत्तर सदस्य एम. टी.वासुदेवन नायर के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।
अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने गुरुवार को यहां जारी एक शोक संदेश में कहा कि बहुमुखी प्रतिभा के धनी और सिनेमा के क्षेत्र में अमिट छाप छोड़ने वाले श्री वासुदेवन नायर ने अपनी कालजयी कृतियों से कई पीढ़ियों के लेखकों को प्रभावित किया। स्वतंत्रता के बाद के भारतीय साहित्य के महानतम हस्ताक्षरों में से एक श्री वासुदेवन नायर ने दशकों तक कई युवा लेखकों को खोजा और प्रोत्साहित किया। साहित्य अकादमी हजारों साहित्य प्रेमियों के साथ उनके निधन पर शोक व्यक्त करती है और भारतीय साहित्य में उनके निःस्वार्थ और असाधारण योगदान को सादर नमन करती है।
साहित्य अकादमी के दिल्ली कार्यालय में आयोजित एक श्रद्धांजलि सभा के बाद अकादमी के सभी कार्यालय उनके सम्मान में आज के लिए बंद कर दिए गए। श्री श्री वासुदेवन नायर का कल निधन हो गया था।
सात दशकों के लंबे साहित्यिक जीवन में, श्री वासुदेवन नायर ने प्रचुर लेखन किया और उनके अधिकांश उपन्यास और कहानी-संग्रह ‘बेस्टसेलर’ रहे। उन्होंने मलयालम् सिनेमा में पटकथा लेखक और निर्देशक के रूप में भी लंबे समय तक योगदान दिया और अपनी रचनात्मकता से इसे समृद्ध किया। उन्हें उनके उपन्यास कालम् के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला, लेकिन रंडामूझम को व्यापक रूप से उनकी उत्कृष्ट कृति माना जाता है। यह पुस्तक महाभारत की कहानी को भीम के दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती है। गौरवशाली जीवन में श्री वासुदेवन नायर ने पद्म भूषण, साहित्य अकादमी की महत्तर सदस्यता, साहित्य अकादमी पुरस्कार और ज्ञानपीठ पुरस्कार सहित कई प्रतिष्ठित सम्मान और पुरस्कार प्राप्त किए।
सत्या.साहू
वार्ता