नयी दिल्ली, 08 जनवरी (वार्ता) राष्ट्रीय राजधानी में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेडी ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के जनवरी 2025 की नयी नियमावली का स्वागत करते हुये कहा है कि इससे राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 के क्रियान्वयन करने से विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों तथा शैक्षणिक संस्थानों को बहुत ही दूरगामी सार्थक परिणाम मिलेगा और यह शैक्षणिक गुणवत्ता के लिये बहुत आवश्यक है।
प्रो. वरखेडी ने कहा कि यही कारण है कि सीएसयू इस शिक्षा नीति के मार्गदर्शन को कम से कम समय में अधिक से अधिक निर्णयों को संकाय सदस्यों तथा विद्यार्थियों के अतिरिक्त कर्मचारियों के हित के लिये इसे लागू करने के लिए कटिबद्ध है।
कुलपति वरखेडी ने कहा है कि सीएसयू ने आयुर्वेद गुरुकुलम, एल.एल.बी तथा भारतीय प्राचीन विधि शास्त्र तथा संगणक आदि जैसे नवाचारी पाठ्यक्रमों के अतिरिक्त विविध विश्वविद्यालयों और नवोन्मेषी संगठनों से आकादमिक समझौते भी किये हैं, ताकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 के अनुकूल नवाचारी पाठ्यक्रमों का समुचित विस्तार हो सके। उन्होंने कहा है कि जाने-माने शिक्षाविद् प्रो. चांद किरण सलूजा जी के मार्गदर्शन में सीएसयू ने एक ऐसे पोस्टडॉक्टोरल प्रोजेक्ट का भी श्रीगणेश करने जा रहा है, जिसमें संस्कृत शास्त्र तथा शिक्षा शास्त्र के शोधार्थियों द्वारा भारत की प्राचीन शिक्षा मूल्यांकन पद्धति के मूल्यों को पुनर्स्थापित करने के लिये शोध परक सामग्रियाओं को व्यवस्थित की जा सके। इससे भारतीय ज्ञान परम्परा के अध्ययन अध्यापन को बहुत ही बल मिलेगा।
उप्रेती.श्रवण
वार्ता