भारतPosted at: Oct 29 2024 11:13PM पूर्वी लद्दाख से भारत और चीन के सैनिकों की वापसी अंतिम चरण में
नयी दिल्ली 29 अक्टूबर (वार्ता) पूर्वी लद्दाख में करीब साढ़े चार वर्ष तक चले सैन्य गतिरोध के बाद भारत और चीन के सैनिकों की देप्सांग और डेमचोक से पीछे हटने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
सेना के सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
गौरतलब है कि दोनों देशों के सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया 22 अक्टूबर को शुरू हुई थी और उस समय कहा गया था कि इसके महीने के अंत तक पूरा हो जाने की संभावना है।
यह प्रक्रिया दोनों देशों के बीच नियंत्रण रेखा से लगते क्षेत्रों में सैनिकों के गश्त की व्यवस्था पर सहमति बनने के बाद शुरू हुई थी।
सूत्रों ने बताया कि इस प्रकिया के तहत सैनिकों को पीछे हटाने के साथ साथ अस्थाई टेंटों और संरचनाओं को भी हटाया जा रहा है।
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने 20 अक्टूबर को बताया था कि दोनों देशों के बीच गश्त की व्यवस्था पर सहमति बन गई है, जिससे दोनों देशों के सैनिकों के पीछे हटने तथा अप्रैल 2020 की स्थिति के बहाल होने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
इसके बाद 22 अक्टूबर से सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी।
दोनों सेनाओं ने नियंत्रण रेखा से लगते क्षेत्रों में करीब 50-50 हजार सैनिक तैनात किये हुए थे। सैनिकों के पीछे हटने के बाद अब इन क्षेत्रों में सैनिकों की संख्या भी कम होने की उम्मीद है।
इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच रूस के कजान में ब्रिक्स सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय बैठक हुई थी। दोनों नेताओं ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सामान्य स्थिति की बहाली और गतिरोध दूर करने के लिए बनी सहमति का स्वागत किया । उन्होंने माना कि दोनों देशों के बीच सामान्य संबंधों के लिए सीमा पर शांति, स्थिरता और परस्पर विश्वास का माहौल जरूरी है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा है कि इस सहमति से सैनिकों के गश्त और पशुओं के चराने की परंपरागत व्यवस्था बहाल होगी। उन्होंने कहा था कि निरंतर बातचीत से मतभेद दूर करने में मदद मिलती हैं।
सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दोनों देशों की सेनाओं के कमांडर इसका सत्यापन करेंगे, जिसके बाद क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण भी किया जाएगा।
मई 2020 में चीन द्वारा सीमा पर यथास्थिति में एकतरफा बदलाव की कोशिश की गई थी। भारतीय सेना ने इसका कड़ा विरोध करते हुए इस कोशिश को विफल कर दिया था जिससे क्षेत्र में सैन्य गतिरोध उत्पन्न हो गया था।
संजीव, संतोष
वार्ता