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विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रारंभिक कौशल का दोहन करने की आवश्यकता: हर्ष वर्धन

विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रारंभिक कौशल का दोहन करने की आवश्यकता: हर्ष वर्धन

नयी दिल्ली,05 नवंबर (वार्ता) केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ हर्ष वर्धन ने कहा है कि कि 21वीं शताब्दी की ज्ञान अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रारंभिक कौशल का दोहन करने की आवश्यकता है।

डॉ हर्ष वर्धन ने मंगलवार को भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के दौरान विदेशी मंत्रियों और राजनायिकों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए जोर देकर कहा कि प्रौद्योगिकी विकास और नवाचार के लिए एक मार्ग के रूप में मूल अनुसंधान की प्रणाली विकसित करने के लिए अनुसंधान और विकास तथा शिक्षा संस्थानों को बेहतर प्रक्रियाओं को समझने तथा उन्हें समाहित करने के लिए वैश्विक रूप से अधिक जुड़ना होगा।

उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय विश्व भर में 44 देशों के साथ सक्रिय सहयोग कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की वर्तमान सरकार का मानना है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी एक ऐसा आधार है जिस पर देश अपनी ज्ञान शक्ति और उद्यमशीलता के लिए सफलता की कामना करते हुए निर्भर करता है। इसलिए सरकार विज्ञान को बढ़ावा देने के प्रति वचनबद्ध है जो सामान्यजन का जीवन सुगम बनाता है और देश में समान और सतत विकास को बढ़ावा देता है।

डॉ हर्ष वर्धन ने कहा कि समय की मांग है कि समावेशी विकास और आर्थिक विकास के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में असमानताएं दूर की जाएं।

उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय द्विपक्षीय सहयोग के साथ भारत ने अब प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से समाज की बड़ी चुनौतियों का समाधान निकालने का काम शुरू कर दिया है। वैज्ञानिक, प्राथमिक विज्ञान से मेगा विज्ञान खोज कार्यक्रमों के व्यापक क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग कर रहे हैं और इस तरह जीका, टीबी, मलेरिया और डेंगू के वैक्सीन तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा स्वच्छ ऊर्जा के विकास और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव कम करने के नए स्मार्ट सॉल्यूशन इजाद कर रहे हैं, फसल उत्पादकता बढ़ाने के प्रयास कर रहे हैं, जल के पुन: उपयोग और मानसून के पूर्वानुमान तथा प्राकृतिक आपदा के पूर्वानुमान समेत मौसम के पूर्वानुमान का अध्ययन कर रहे हैं। वैज्ञानिक सॉल्यूशन्स पर आधारित कृत्रिम बुद्धिमत्ता भी विकसित कर रहे हैं।

डॉ हर्ष वर्धन ने कहा कि आज के सम्मेलन में आए विशिष्टजनों से कुछ सुनने और सीखने का अवसर मिला है और यह जानने का भी अवसर मिला है कि वे किस तरह अपने अपने देशों के सामाजिक आर्थिक विकास के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी को प्रभावशाली माध्यम बना रहे हैं। उन्होंने कहा इससे प्रत्येक को अपने अपने देश के लिए भारत के साथ द्विपक्षीय स्तर के सहयोग का खाका तैयार करने का अवसर मिलेगा जिससे अनुसंधान और शिक्षा को बढ़ावा दिया जा सके।

जितेन्द्र

वार्ता

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