कोलंबो, 12 अप्रैल (वार्ता) श्रीलंका पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नए टैरिफ की मार पड़ने के बाद पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कहा है कि अमेरिका के पास बाकी दुनिया पर अपनी इच्छा थोपने की आर्थिक क्षमता नहीं है।
श्री विक्रमसिंघे ने ‘डेली मिरर’ में प्रकाशित एक बयान में उन्होंने कहा, “1950 में अमेरिका के पास दुनिया की जीडीपी का 50 प्रतशित हिस्सा था। आज यह केवल 25 प्रतिशत है, चीन के पास 19 प्रतिशत और यूरोपीय संघ के पास 13 प्रतिशत है। ये उच्च पारस्परिक टैरिफ पूर्वी एशिया से दक्षिण एशिया तक एशिया की विनिर्माण क्षमता को नष्ट करने का प्रयास करते हैं। इसका असर ऑस्ट्रेलिया पर भी पड़ता है। एक झटके में, हिंद-प्रशांत में विश्वास खत्म हो गया है। यह क्षेत्र में ताइवान के लिए समर्थन को भी कमजोर करेगा।”
उन्होंने टैरिफ की निंदा करते हुए कहा कि दुनिया के पास अब चीन के रूप में एक विकल्प है। उन्होंने आगे कहा, “एशिया में लाखों की संख्या में कम वेतन वाली नौकरियाँ प्रभावित होंगी। मध्यम वर्ग में शामिल होने की आकांक्षाएँ नष्ट हो जाएँगी, अब जनता का समर्थन चीन की ओर बढ़ेगा।”
उन्होंने कहा, “चीन दुनिया के हमारे हिस्से में मजबूती से खड़ा है। चीन के लिए यह सबसे अच्छा समय है जब पूरी दुनिया प्रभावित है इसलिए उन्हें अलग-थलग नहीं होना पड़ा। ऐसा लगता है कि उसने अमेरिका को जवाब देने की योजना बनाई है। चीन को अमेरिका के मध्यावधि चुनावों तक 18 महीने तक टिके रहना है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग के पास कोई मध्यावधि चुनाव नहीं है।”
श्री विक्रमसिंघे ने कहा, “रूस भी अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता से एक विजेता है, टैरिफ से अछूता है और एक कमजोर अमेरिका के साथ यूक्रेन शांति वार्ता को पहले से ही संभाल रहा है, विश्व व्यवस्था के लिए नए प्रस्ताव सामने आए हैं।”
सैनी, यामिनी
वार्ता