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वक्फ को नियंत्रित नहीं, इसे प्रबंधित करने वाले कानून के दायरे में काम करें, बस इतना चाहती है सरकारः नड्डा

वक्फ को नियंत्रित नहीं, इसे प्रबंधित करने वाले कानून के दायरे में काम करें, बस इतना चाहती है सरकारः नड्डा

नयी दिल्ली, 06 अप्रैल (वार्ता) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने कहा कि सरकार वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने की कोशिश नहीं कर रही हैं, बल्कि सरकार का लक्ष्य बस यह सुनिश्चित करना है कि इसे प्रबंधित करने वाले लोग कानून के दायरे में काम करें और स्थापित नियमों का पालन करें।

श्री नड्डा ने रविवार को भाजपा के स्थापना दिवस के मौके पर पार्टी मुख्यालय में ध्वाजारोहण करने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, "आज हम भाजपा का 46वां स्थापना ​दिवस मना रहे हैं। मेरी ओर से और पार्टी के करोड़ों कार्यकर्ताओं की ओर से आप सभी को स्थापना दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आज राम नवमी भी है, आप सभी को राम नवमी की भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं।"

उन्होंने कहा कि श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इस विश्वास से प्रेरित होकर पंडित जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था कि एक देश, दो कानूनों और दो संविधानों के तहत काम नहीं कर सकता। उन्होंने कहा, "हमारी यात्रा 1951 में शुरू हुई, और 1953 में उन्होंने सत्याग्रह में भाग लिया तथा श्रीनगर की जेल में रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई। उनकी माँ द्वारा उनकी मृत्यु की जांच के लिए अपील के बावजूद श्री नेहरू ने उनके अनुरोध को नज़रअंदाज़ कर दिया। हालाँकि, हमारे समर्पित कार्यकर्ताओं ने लड़ाई को आगे बढ़ाने की कसम खाई।"

उन्होंने कहा, "हमें याद रखना चाहिए कि 1951 में भारतीय जनसंघ के रूप में हमारी राजनीतिक आंदोलन की यात्रा शुरू हुई। राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए 1977 में कुछ समय के लिए हम जनता पार्टी में शामिल हुए और 1980 में अपने वैचारिक वैशिष्ट्य को लेकर 'भारतीय जनता पार्टी' के रूप में इस आंदोलन को आगे बढ़ाया।"

उन्होंने वक्फ संशोधन कानून का उल्लेख करते हुए कहा, "हम वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य बस यह सुनिश्चित करना है कि इसे प्रबंधित करने वाले लोग कानून के दायरे में काम करें और स्थापित नियमों का पालन करें। वक्फ बोर्ड की संपत्ति और धन मुस्लिम समुदाय के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए समर्पित किया जाएगा।"

उन्होंने कहा कि शाह बानो मामले में राजीव गांधी सरकार मुस्लिम समुदाय के कुछ वर्गों के दबाव में आकर तुष्टिकरण की राजनीति के आगे झुक गई। उच्चतम न्यायालय द्वारा मुस्लिम महिलाओं की मुक्ति का आह्वान करने के बावजूद किसी में निर्णायक कार्रवाई करने का साहस नहीं था। दिलचस्प बात यह है कि अधिकांश मुस्लिम बहुल देशों ने पहले ही तीन तलाक की प्रथा को समाप्त कर दिया था, फिर भी यह भारत में जारी रहा। उन्होंने कहा कि आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने तीन तलाक को खत्म करके एक ऐतिहासिक कदम उठाया, जिससे मुस्लिम महिलाओं को सशक्त और स्वतंत्र बनाया गया।

उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने कई ऐतिहास निर्णय लिये हैं, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती थी। उन्होंने कहा, "1987-88 में पालमपुर के अधिवेशन में आडवाणी जी की अध्यक्षता में एक प्रस्ताव पारित हुआ कि हम राम जन्मभूमि मंदिर बनने के रास्ते को प्रशस्त करेंगे। आपने देखा लंबी लड़ाई के बाद आज भव्य राम मंदिर बना। 1965 में पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी ने एकात्म मानवदर्शन का व्याख्यान दिया था।"

उन्होंने कहा "हमारा उस समय मजाक उठता था क्योंकि कार्ल मार्क्स के चश्मे से देखने वाले लोग एकात्म मानववाद सोच सके ये कल्पना से बाहर था और कांग्रेस का धीरे-धीरे वैचारिक पतन शुरू हो चुका था।"

उन्होंने कहा, " भाजपा ने एकात्म मानववाद को आगे बढ़ाया और श्री मोदी के नेत्तृव में "सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास, सबका विश्वास' के रूप में अंत्योदय को आगे बढ़ाया गया। हम वोट के खातिर इधर से उधर डिगे नहीं, सत्ता पाने के लिए हमने विचारधारा के साथ कोई समझौता नहीं किया।"

उन्होंने कहा, "भाजपा अकेली राजनीतिक पार्टी है, जिसने वैचारिक अधिष्ठान को अडिग रखा है और उसी की ताकत से आगे बढ़ रही है। हम सब लोग राष्ट्र के पुनर्निर्माण में एक राजनीतिक आंदोलन के रूप में इस सफर में अपने-आप को शामिल करते हैं।"

उन्होंने कहा, "हमने हमेशा किसी व्यक्ति या विशेष हितों के पक्ष में काम किए बिना राष्ट्र को हर चीज से ऊपर रखा है।"

संतोष.अभय

वार्ता

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