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सरसों एवं चने की खरीद शुरु नहीं करने से किसानों को हुए घाटे की सरकार करें भरपाई-जाट

जयपुर, 06 अप्रैल (वार्ता) किसानों के प्रति सरकार की अनदेखी के चलते सरसों और चने की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद में देरी करने से किसानों को सरसों में 265 करोड़ रुपए से अधिक का घाटा उठाना पड़ रहा है जिसकी भरपाई सरकार को करनी चाहिए।
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने अपने बयान में यह आरोप लगाते हुए राज्य सरकार से यह मांग की। उन्होंने कहा कि गत 15 फरवरी से 25 मार्च तक राजस्थान की मंडियों में सरसों की आवक की मात्रा 37 लाख 87 हजार 513 क्विंटल रही। सरसों का एमएसपी 5950 रुपए प्रति क्विंटल है और बाजार भाव 4600 से लेकर 5500 रुपए प्रति क्विंटल तक रहे। सामान्यतया एक क्विंटल पर 700 रुपए का घाटा रहा और इस हिसाब से इस अवधि में किसानों को दो अरब 65 करोड़ 12 लाख रुपए से अधिक का घाटा उठाना पड़ा।
उन्होंने कहा कि सरसों मंडियों में 15 फरवरी से आना आरंभ हो गई थी। पिछले तीन वर्षों से किसानो की ओर से खरीद 15 फरवरी से आरंभ करने के लिए अनुराेध किया जा रहा है। इसके संबंध में राज्य एवं केन्द्र के अधिकारियों एवं सत्ताधारी राजनेताओं को ज्ञापन दिए जा रहे हैं और वार्ता भी हुई। केंद्रीय कृषि एवं कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी वार्ता हुई। राजस्थान से केंद्र सरकार में कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी को भी ज्ञापनों के माध्यम से निवेदन किया गया लेकिन किसानों के लिए इस बारे में कोई ध्यान नहीं दिया गया।
श्री जाट ने कहा कि इसी प्रकार चने के उत्पादन में राजस्थान का तीसरा स्थान रहता है और चना की खरीद के लिए भी 15 मार्च से खरीद करने का आग्रह किया जा रहा है मगर सरकार ने किसानों की पीड़ा पर ध्यान ही नहीं दिया और फसल की आवक के साथ एमएसपी पर खरीद शुरु नहीं होने से व्यापारियों को कम दामों में खरीदने का अवसर मिल गया।
उन्होंने बताया कि राजस्थान में सरसों का उत्पादन पांच करोड़ 55 लाख 70 हजार 290 क्विंटल तथा चना का उत्पादन दो लाख 51 लाख 78 हजार 710 क्विंटल है। सरकार की ओर से इन दोनों की खरीद 10 अप्रैल से आरंभ करने की घोषणा की गई है। सरसों की आवक से दो महीने तथा चने की आवक से एक महीने का विलंब सरकार की ओर से किया गया है जबकि यह खरीद फसल की आवक के साथ ही शुरु की जा सकती थी। इसलिए किसानों को हुए घाटे की भरपाई के लिए सरकार उत्तरदायी होना चाहिए और यह भरपाई केंद्रीय योजना कमी मूल्य भुगतान के तहत की जानी चाहिए।
श्री जाट ने बताया कि इसके लिए देश के आठ राज्यों के 101 किसानों ने छह अप्रैल 2023 को दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक दिवसीय उपवास रखकर सत्याग्रह भी किया था।
जोरा
वार्ता