कोलंबो, 05 अप्रैल (वार्ता) भारत एवं श्रीलंका ने हिन्द महासागर में परस्पर रक्षा सहयोग बढ़ाने, त्रिंकोमाली ऊर्जा हब के रूप में विकसित करने तथा डिजिटल तकनीक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का फैसला किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा दिसानायके के बीच यहां द्विपक्षीय शिखर बैठक में इन फैसलों के साथ सात समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर एवं आदान-प्रदान किया गया। दोनों नेताओं ने पांच परियोजनाओं का संयुक्त रूप से उद्घाटन करने को सराहनीय बताया।
यात्रा के दौरान, श्री मोदी ने भारत में सालाना 700 श्रीलंकाई लोगों की क्षमता निर्माण के बड़े कार्यक्रम की घोषणा की। उन्होंने त्रिंकोमाली में तिरुकोनेश्वरम मंदिर, नुवारा एलिया में सीता एलिया मंदिर और अनुराधापुरा में सेक्रेड सिटी कॉम्प्लेक्स परियोजना के विकास के लिए भारत की अनुदान सहायता अंतर्राष्ट्रीय वेसाक दिवस 2025 पर श्रीलंका में भगवान बुद्ध अवशेषों का प्रदर्शन के अलावा ऋण पुनर्गठन पर द्विपक्षीय संशोधन समझौतों का समापन का भी ऐलान किया।
दोनों देशों के बीच जिन 7 समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये, उनमें बिजली के आयात/निर्यात के लिए एचवीडीसी इंटरकनेक्शन के कार्यान्वयन के लिए करार, डिजिटल परिवर्तन के लिए जनसंख्या पैमाने पर लागू सफल डिजिटल समाधान साझा करने के क्षेत्र में समझौता, त्रिंकोमाली के ऊर्जा हब के रूप में विकास में सहयोग, रक्षा सहयोग, पूर्वी प्रांत के लिए बहु-क्षेत्रीय अनुदान सहायता पर समझौता ज्ञापन, स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोग और फार्माकोपियाल सहयोग पर समझौता ज्ञापन शामिल है।
जिन पांच परियोजनाओं का लोकार्पण किया जाना है उनमें महो-ओमानथाई रेलवे लाइन के उन्नत रेलवे ट्रैक का उद्घाटन, महो-अनुराधापुरा रेलवे लाइन के लिए सिग्नलिंग सिस्टम का निर्माण का शुभारंभ, सम्पुर सौर ऊर्जा परियोजना (वर्चुअल) का भूमि पूजन समारोह, दाम्बुला (आभासी) में तापमान नियंत्रित कृषि गोदाम का उद्घाटन तथा श्रीलंका भर में 5000 धार्मिक संस्थानों (आभासी) के लिए सौर छत प्रणालियों की आपूर्ति का शुभारंभ शामिल है।
श्री मोदी ने अपने प्रेस वक्तव्य में श्रीलंका के राष्ट्रपति दिसानायक द्वारा उन्हें ‘श्रीलंका मित्र विभूषण’ से सम्मानित किये जाने पर आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि यह उनके लिए गौरव की बात है। यह सम्मान 140 करोड़ भारतीयों का सम्मान है। यह भारत और श्रीलंका के लोगों के बीच ऐतिहासिक संबंधों और गहरी मित्रता का सम्मान है।
श्री मोदी ने कहा, “प्रधानमंत्री के रूप में, श्रीलंका का यह मेरा चौथा दौरा है। 2019 की मेरी पिछली यात्रा, एक बहुत ही संवेदनशील समय पर हुई थी। उस समय मेरा विश्वास था कि श्रीलंका फिर से उभरेगा और सशक्त बनेगा। मैं श्रीलंका के लोगों के धैर्य और साहस की सराहना करता हूं। और, आज श्रीलंका को वापिस प्रगति के पथ पर देख कर हर्ष महसूस कर रहा हूं। भारत के लिए यह गर्व का विषय है कि हमने एक सच्चे पड़ोसी मित्र के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वाहन किया है। चाहे 2019 का आतंकी हमला हो, कोविड महामारी हो, या हाल में आया आर्थिक संकट, हर कठिन परिस्थिति में, हम श्रीलंका के लोगों के साथ खड़े रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति दिसानायक ने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत को चुना था। और, उनके पहले विदेश अतिथि बनने का सौभाग्य मुझे मिला है। यह हमारे विशेष संबंधों की गहराई का प्रतीक है। हमारी पड़ोसी प्रथम नीतिऔर विज़न महासागर’, दोनों में श्रीलंका का विशेष स्थान है। पिछले चार महीनों में, राष्ट्रपति दिसानायक की भारत यात्रा के बाद से, हमारे सहयोग में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।”
श्री मोदी ने कहा कि सामपुर सोलर पावर प्लांट से श्रीलंका की ऊर्जा सुरक्षा में मदद मिलेगी। मल्टी-प्रोडेक्ट पाइपलाइन के निर्माण, और त्रिंकोमाली को ऊर्जा हब के रूप में विकसित किए जाने के लिए जो समझौता हुआ है, उसका लाभ श्रीलंका के सभी लोगों को मिलेगा। दोनों देशों के बीच ग्रिड इंटर कनेक्टिविटी एवं समझौते से श्रीलंका के लिए बिजली निर्यात करने के विकल्प खुलेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे ख़ुशी है कि आज श्रीलंका में धार्मिक स्थलों के लिए पाँच हजार सोलर रूफ टॉप सिस्टम का उद्घाटन किया जाएगा। श्रीलंका के यूनीक डिजिटल आइडेंटिटी प्रोजेक्ट में भी हम सहयोग करेंगे। भारत ने सबका साथ सबका विकास के विजन को अपनाया है। हम अपने साझीदार देशों की प्राथमिकताओं को भी महत्व देते हैं।”
श्री मोदी ने कहा कि पिछले छह महीनों में ही हमने 10 करोड़ डॉलर से अधिक राशि के ऋण को अनुदान में बदला है। हमारे द्विपक्षीय ऋण पुनर्गठन समझौते’ से श्रीलंका के लोगों को तत्काल सहायता और राहत मिलेगी। आज हमने ब्याज़ की दर को भी कम करने का निर्णय लिया है। यह प्रतीक है कि आज भी भारत श्रीलंका के लोगों के साथ खड़ा है।
उन्होंने कहा कि पूर्वी प्रांतों के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए, लगभग 2.4 अरब लंकन रुपए का सहयोग पैकेज दिया जाएगा। आज हमने किसानों की भलाई के लिए, श्रीलंका के सबसे बड़े वेयरहाउस का भी उद्घाटन किया। कल हम ‘माहो-ओमनथायी’ रेल लाइन का उद्घाटन करेंगे, और ‘माहो-अनुराधापुरम’ सेक्शन पर सिग्नलिंग सिस्टम का शिलान्यास करेंगे। कांकेसंतुरई पोर्ट के आधुनिकीकरण के लिए काम जल्द ही शुरू किया जाएगा।
श्री मोदी ने कहा कि श्रीलंका में भारतीय मूल के तमिल समुदाय के लिए दस हजार घरों का निर्माण कार्य जल्द पूरा किया जाएगा। श्रीलंका के 700 अतिरिक्त कार्मिकों को भारत में प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। इसमें सांसदों, न्यायपालिका से जुड़े लोगों, उद्यमियों, मीडियाकर्मियों, के साथ-साथ युवा लीडर्स भी शामिल होंगे।
उन्होंने कहा, “हमारा मानना है कि हमारे सुरक्षा हित समान हैं। दोनों देशों की सुरक्षा एक-दूसरे से जुड़ी है और एक-दूसरे पर निर्भर है। भारत के हितों के प्रति उनकी संवेदनाओं के लिए, मैं, राष्ट्रपति दिसानायक का आभारी हूँ। रक्षा सहयोग में संपन्न किये गए महत्वपूर्ण समझौते का हम स्वागत करते हैं। कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन और हिन्द महासागर में सुरक्षा सहयोग पर भी मिलकर काम करने के लिए हम सहमत हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत और श्रीलंका के बीच सदियों पुराने आध्यात्मिक और आत्मीयता भरे संबंध हैं। मुझे यह बताते हुए अत्यन्त ख़ुशी है कि 1960 में मेरे गृह राज्य गुजरात के अरावली में मिले भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष को श्रीलंका में दर्शन के लिए भेजा जा रहा है। त्रिंकोमाली के थिरुकोनेश्वरम मंदिर के पुनरुद्धार में भारत सहयोग देगा। अनुराधापुरम महाबोधी मंदिर परिसर में पवित्र नगर, और ‘नुरेलिया’ में ‘सीता एलिया’ मंदिर के निर्माण में भी भारत सहयोग करेगा।”
उन्होंने कहा कि हमने मछुआरों की आजीविका से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा की। हम सहमत हैं, कि हमें इस मामले में एक मानवीय रुख के साथ आगे बढ़ना चाहिए। हमने मछुआरों को तुरंत रिहा किये जाने और उनकी नौकाओं को वापस भेजने पर भी बल दिया। हमने श्रीलंका में पुनर्निर्माण और मेलमिलाप पर भी बात की। राष्ट्रपति दिसानायक ने अपने समावेशी दृष्टिकोण के बारे में मुझे बताया। हम आशा करते हैं कि श्रीलंका सरकार तमिलों की आकांक्षाओं को पूरा करेगी। और श्रीलंका में संविधान के पूर्ण क्रियान्वयन, और प्रांतीय परिषद के चुनाव कराने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करेगी।
श्री मोदी ने कहा, “भारत और श्रीलंका का संबंध आपसी विश्वास और सद्भावना पर आधारित है। अपने लोगों की आकांक्षाओं और आशाओं को पूरा करने के लिए हम साथ मिलकर काम करते रहेंगे। मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में हम अपनी भागीदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।”
सचिन, यामिनी
वार्ता