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माता अहिल्या देवी ने विभिन्न संकटों के बीच सनातन धर्म की रक्षा की: यादव

खरगोन, 31 मार्च (वार्ता) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने कहा है कि माता अहिल्यादेवी होलकर ने विभिन्न संकटों के बीच सनातन धर्म की रक्षा कर सुशासन का आदर्श प्रस्तुत किया।
डॉ. मोहन यादव आज सायं महेश्वर में देवी अहिल्या बाई होल्कर के त्रि-शताब्दी जन्म जयंती के अवसर पर संस्कृति विभाग मप्र शासन तथा विश्व मांगल्य सभा के संयुक्त तत्वाधान में आयोजिउत 'राष्ट्र समर्था- देवी अहिल्या की पुण्य गाथा' नाट्य कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विभिन्न चुनौतियों और संकटों के बीच देवी अहिल्या बाई ने सनातन धर्म की रक्षा कर सुशासन का आदर्श प्रस्तुत किया।
डॉ यादव ने कहा कि 250-300 वर्ष पूर्व दो धाराएं आपस में टकरा रही थी। एक धारा हमारी संस्कृति के विरुद्ध बह रही थी ,जिसके कारण हमारे देवस्थानों और सांस्कृतिक व्यवस्थाओं में चुनौतियां देखी जा रही थी। दूसरी तरफ मां अहिल्याबाई ने संकटों का सामना करते हुए अपना शासन चलाकर कई अनुकरणीय काम किये। उनके शासन करने के तरीके से मालवा समेत पूरे देश के सनातन धर्मियों के हृदय में विशेष स्थान है। होलकर स्टेट के बाहर जाकर उन्होंने सनातन को मजबूत करने के कई कार्य किये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे देव स्थानों को मुगल सल्तनत ने नष्ट भ्रष्ट करने का अभियान चलाया था। उन्होंने कहा मुझे यह कहने में गुरेज नहीं है कि अहिल्याबाई होलकर के अलावा इस मुद्दे पर बड़े शासको का ध्यान नहीं गया। उन्होंने कहा कि अहिल्या माता ने सोमनाथ ,काशी व महाकाल समेत कई देवस्थानों पर विभिन्न आधारभूत संरचनाओं और व्यवस्थाओं को कायम किया। इसके अलावा अन्न क्षेत्र ,मठ, गरीबों के लिए कई काम और रोजगार के लिए महेश्वरी साड़ियों को बढ़ावा दिया।
उन्होंने बताया कि देवी अहिल्याबाई का कलेजा इतना बड़ा था कि उन्होंने अपने क्षेत्र को चोर डाकुओं से मुक्त करने के लिए घोषणा की थी कि ऐसा करने वाले का वह अपनी बेटी से ब्याह कर देंगी। उन्होंने बताया कि अहिल्याबाई ने अपने शासनकाल में कई उदाहरण प्रस्तुत किये थे। उन्हें प्रदर्शित करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने पूरे वर्ष एक कार्यक्रमों की श्रृंखला बनाई है। मध्य प्रदेश सरकार ने महेश्वर में कैबिनेट आयोजित कर उनके गौरवशाली इतिहास और शासन प्रबंधन से प्रेरणा का संकल्प भी लिया। इसके अलावा इंदौर स्थित प्रथम सशस्त्र बटालियन का नामकरण भी अहिल्यादेवी के नाम पर किया गया।
इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि अहिल्यादेवी युद्ध से ज्यादा शांति को वरीयता देती थी। उनकी समग्र दृष्टि व सुशासन के अलावा समाज को मार्गदर्शन देने, देश की एकता के अलावा कृषि और व्यापार को आगे बढ़ाने की क्षमता अनु करणीय है।
उन्होंने कहा कि अहिल्या देवी ने आने वाली पीढियों के लिए उन्होंने आदर्श उत्पन्न किया। उन्होंने कहा कि हमारे आदर्श प्रस्तुत करने वाले नायकों महापुरुषों और ग्रंथों का पाठ्यक्रमों में दो-चार पंक्तियों में उल्लेख होता रहा है ,जबकि आक्रांताओं के लिए चैप्टर भरे पड़े हैं। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में देश समाज के लिए अच्छा काम करने वालों को स्थान मिल रहा है।
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री सावित्री ठाकुर, संस्कृति मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी और होलकर वंश के युवराज यशवंत राव होलकर आदि भी उपस्थित थे।
सं नाग
वार्ता